Nepal Political Crisis: नेपाल में सियासी उथल-पुथल, सुशीला कार्की ने अंतरिम PM का प्रस्ताव ठुकराया, Gen Z ने कुलमान घिसिंग को चुना
नेपाल में सियासी संकट, पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की ने अंतरिम प्रधानमंत्री का प्रस्ताव ठुकराया।

Nepal Political Crisis: नेपाल में चल रहे तीव्र विरोध प्रदर्शनों के बीच सियासी हलचल तेज हो गई है। पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की ने अंतरिम प्रधानमंत्री बनने का प्रस्ताव ठुकरा दिया है। दूसरी ओर, Gen Z समूह ने नेपाल विद्युत प्राधिकरण के पूर्व प्रमुख कुलमान घिसिंग को अंतरिम सरकार का नेतृत्व करने के लिए प्रस्तावित किया है। यह आंदोलन भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद के खिलाफ शुरू हुआ था, जिसने पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया। अब जनता नई सरकार और सुधारों की मांग कर रही है।
सुशीला कार्की ने क्यों ठुकराया प्रस्ताव?
सुशीला कार्की, जो नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश रह चुकी हैं, को उनकी साफ छवि के कारण अंतरिम प्रधानमंत्री के लिए चुना गया था। लेकिन उन्होंने यह जिम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया। सूत्रों के मुताबिक, सुशीला ने कहा कि वह मौजूदा सियासी हालात में इस भूमिका के लिए तैयार नहीं हैं। उनके इस फैसले से आंदोलनकारी निराश हुए, लेकिन Gen Z ने जल्द ही कुलमान घिसिंग को नया विकल्प पेश किया। सुशीला का यह कदम नेपाल की राजनीति में चर्चा का विषय बन गया है।
कुलमान घिसिंग: जनता का भरोसा, Gen Z की पसंद
कुलमान घिसिंग को नेपाल में बिजली संकट खत्म करने के लिए जाना जाता है। उनके नेतृत्व में देश में लोडशेडिंग का अंत हुआ था, जिससे उनकी छवि एक ईमानदार और कुशल प्रशासक की बनी। Gen Z ने उनकी साफ-सुथरी छवि और काम के प्रति समर्पण को देखते हुए उन्हें अंतरिम प्रधानमंत्री के लिए चुना। सोशल मीडिया पर लोग उनके समर्थन में उतर आए हैं। एक X पोस्ट में कहा गया कि कुलमान के नेतृत्व में नेपाल में स्थिरता और सुधार आ सकते हैं। हालांकि, इस प्रस्ताव पर अभी कोई आधिकारिक फैसला नहीं हुआ है।
नेपाल में अशांति: भविष्य पर सवाल
पिछले हफ्ते काठमांडू में हुए हिंसक प्रदर्शनों में 31 लोगों की मौत हो चुकी है। Gen Z के नेतृत्व में युवा संसद भंग करने और नए चुनाव की मांग कर रहे हैं। सोशल मीडिया बैन और पुलिस कार्रवाई ने आंदोलन को और भड़काया है। भारत और चीन जैसे पड़ोसी देश इस स्थिति पर नजर रखे हुए हैं। कुलमान घिसिंग का नाम सामने आने से लोगों में उम्मीद जगी है, लेकिन यह देखना बाकी है कि क्या नेपाल में जल्द स्थिरता आएगी।