नई दिल्लीमुख्य खबरें
Trending

Supreme Court News: वनतारा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने क्लीन चिट दी, जयराम रमेश का तंज: काश सभी केस इतनी जल्दी निपटते

सुप्रीम कोर्ट ने वनतारा को दी क्लीन चिट, जयराम रमेश का तंज ,'काश सभी केस इतनी जल्दी निपटते'।

Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात के जामनगर में रिलायंस फाउंडेशन के वनतारा प्राणी बचाव और पुनर्वास केंद्र को पूरी तरह क्लीन चिट दे दी है। कोर्ट ने जनहित याचिका को बंद कर दिया और कहा कि यहां जानवरों की देखभाल के सभी नियमों का पालन हो रहा है। लेकिन इस फैसले पर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने तीखा तंज कसा है। उन्होंने कहा कि भारतीय न्याय व्यवस्था जब चाहे तो सबसे तेज चलती है, लेकिन आमतौर पर देरी ही उसकी पहचान है। यह टिप्पणी सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है।

वनतारा केंद्र अनिल अंबानी से जुड़े रिलायंस फाउंडेशन का प्रोजेक्ट है। यहां घायल और बेसहारा जानवरों को बचाया जाता है। लेकिन कुछ शिकायतों के बाद मामला कोर्ट पहुंचा था। कोर्ट ने तेजी से कार्रवाई की और केंद्र को साफ बरी कर दिया। जयराम रमेश ने इसकी समयरेखा शेयर करते हुए कहा कि काश बाकी मामले भी इतनी आसानी से सुलझ जाते।

वनतारा केस की पूरी कहानी

यह मामला 7 अगस्त 2025 को दायर एक जनहित याचिका से शुरू हुआ। याचिका में वनतारा केंद्र पर जानवरों की खरीद-फरोख्त और रखरखाव के नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाया गया था। कोर्ट ने 25 अगस्त को इसकी जांच के लिए चार सदस्यीय विशेष जांच दल (एसआईटी) बनाया। एसआईटी में वन्यजीव विशेषज्ञ शामिल थे।

दल को 12 सितंबर तक रिपोर्ट देने का आदेश था। एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में पेश की। 15 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने रिपोर्ट पढ़ी। जस्टिस पंकज मिथल और जस्टिस पी बी वराले ने कहा कि वनतारा में सब कुछ कानून के मुताबिक है। जानवरों को सही तरीके से रखा जा रहा है और अधिकारियों ने व्यवस्था पर संतोष जताया। कोर्ट ने याचिका बंद कर दी।

जयराम रमेश का तंज क्या था?

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सोमवार को सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर की। उन्होंने लिखा, “जब वह तय कर ले तो भारतीय न्यायिक प्रणाली सबसे तेज गति से चलती है, जबकि देरी उसकी पहचान बन गई है। उन्होंने वनतारा मामले की समयरेखा बताई: याचिका दाखिल से लेकर फैसले तक सिर्फ एक महीना। रमेश ने कटाक्ष किया, “काश ‘सीलबंद लिफाफा’ वाली व्यवस्था के बिना इतनी तेजी से सभी मामलों का निस्तारण कर लिया जाता।”

रमेश का इशारा साफ था। वे कह रहे थे कि अमीर और प्रभावशाली लोगों के मामले तेज निपटते हैं, जबकि आम जनता के केस सालों लटके रहते हैं। यह टिप्पणी राजनीतिक हलचल मचा रही है। बीजेपी की तरफ से अभी कोई जवाब नहीं आया है।

कोर्ट ने क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में स्पष्ट किया, “जानकारी मिली है कि वनतारा में जानवरों को रखने के लिए सभी नियमों का पालन किया गया। वहां लाए गए जानवर कानून के अनुसार ही खरीदे गए और उनका रखरखाव सही तरीके से हो रहा है।” बेंच ने एसआईटी की सिफारिशें मान लीं और कोई सवाल नहीं उठाया।

वनतारा केंद्र के बारे में

वनतारा जामनगर में रिलायंस का बड़ा प्रोजेक्ट है। यहां 2000 से ज्यादा जानवरों को जगह दी गई है। केंद्र का मकसद है घायल वन्यजीवों को बचाना और उन्हें वापस जंगल में छोड़ना। लेकिन याचिका में आरोप था कि जानवरों को गैरकानूनी तरीके से इकट्ठा किया गया। एसआईटी ने जांच के बाद इन आरोपों को खारिज कर दिया।

यह फैसला पर्यावरण और वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में अहम है। लेकिन जयराम रमेश की टिप्पणी से न्याय व्यवस्था पर बहस छिड़ गई है। विशेषज्ञ कहते हैं कि कोर्ट को सभी मामलों में ऐसी तेजी दिखानी चाहिए।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button