
Bihar Chunav: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती के अवसर पर, विपक्ष के नेता और आरजेडी (RJD) सुप्रीमो तेजस्वी यादव ने एक बार फिर ‘जाति आधारित जनगणना’ (Caste Census) के मुद्दे को उठाकर बिहार की राजनीति में उबाल ला दिया है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बिहार की ‘डबल इंजन’ सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि बीजेपी (BJP) पिछड़ों, दलितों और वंचितों का हक छीनना चाहती है और इसीलिए वह देश भर में जाति जनगणना कराने से डर रही है।
गांधी जी के सामाजिक न्याय का सपना अधूरा’
गांधी जयंती पर आयोजित एक कार्यक्रम में, तेजस्वी यादव ने कहा, गांधी जी का सपना एक ऐसे भारत का था जहां समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति को भी न्याय और बराबरी का हक मिले। लेकिन आज की ‘डबल इंजन’ सरकार उनके इस सपने को तोड़ रही है। उन्होंने कहा कि बिहार सरकार ने अपने खर्चे पर जाति आधारित गणना कराकर यह पता लगाया है कि किस जाति की कितनी आबादी है, ताकि विकास की योजनाओं को उनकी संख्या के अनुपात में लागू किया जा सके।
केंद्र सरकार पर बोला हमला, ‘क्यों डर रही है बीजेपी?’
तेजस्वी ने सीधे तौर पर केंद्र की मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा, जब हमने बिहार में गिनती करा दी, तो अब केंद्र सरकार पूरे देश में जाति जनगणना कराने से क्यों भाग रही है? बीजेपी को डर है कि अगर देश को पता चल गया कि ओबीसी, दलित और आदिवासियों की असली आबादी कितनी है, तो उन्हें उनका संवैधानिक हक देना पड़ेगा। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी आरक्षण को खत्म करने की साजिश रच रही है और जाति जनगणना इसी साजिश को बेनकाब कर देगी।
चुनाव से पहले ‘सामाजिक न्याय’ को बनाया मुख्य हथियार
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि तेजस्वी यादव द्वारा गांधी जयंती के दिन इस मुद्दे को उठाना, उनकी सोची-समझी चुनावी रणनीति का हिस्सा है। 2025 के विधानसभा चुनाव में, आरजेडी और महागठबंधन ‘सामाजिक न्याय’ और ‘जाति जनगणना’ को अपना सबसे बड़ा और मुख्य चुनावी हथियार बनाने की तैयारी में हैं। वे इस मुद्दे के जरिए राज्य के 60 प्रतिशत से अधिक पिछड़े और अति पिछड़े वोट बैंक को अपने पक्ष में लामबंद करना चाहते हैं।