Bihar Politics: बिहार NDA में सीट बंटवारे पर मांझी ने बढ़ाया दबाव, 'सम्मानजनक' सीटों की मांग, MSME विकास को बताया जरूरी
हम को सम्मानजनक संख्या में सीटें दें, MSME विकास से रुकेगा पलायन; चिराग के बाद मांझी ने बढ़ाई NDA में टेंशन

Bihar Politics: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए एनडीए (NDA) में सीट बंटवारे पर चल रही खींचतान के बीच, गठबंधन के एक और प्रमुख सहयोगी और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने अपनी मांगों को लेकर दबाव बढ़ा दिया है। हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के संरक्षक जीतन राम मांझी ने एक तरफ जहां ‘डबल इंजन’ सरकार की एमएसएमई (MSME) नीतियों की तारीफ की, वहीं दूसरी ओर यह भी साफ कर दिया कि उनकी पार्टी इस बार ‘सम्मानजनक’ संख्या में सीटों पर चुनाव लड़ेगी।
‘MSME के विकास से ही रुकेगा बिहार से पलायन’
मांझी ने कहा कि बिहार की सबसे बड़ी समस्या बेरोजगारी और यहां से होने वाला पलायन है। इसका एकमात्र समाधान राज्य में छोटे और मझोले उद्योगों (Micro, Small and Medium Enterprises) का जाल बिछाना है। उन्होंने हाल ही में लागू हुए ‘जीएसटी 2.0’ सुधारों की तारीफ करते हुए कहा कि इससे एमएसएमई सेक्टर को ताकत मिलेगी, जिससे रोजगार के अवसर पैदा होंगे। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी का मुख्य एजेंडा बिहार के हर जिले में छोटे उद्योगों को बढ़ावा देना है, ताकि युवाओं को अपने घर और गांव में ही काम मिल सके और उन्हें बाहर जाने के लिए मजबूर न होना पड़े।
NDA में 15 सीटों पर ठोका दावा
आर्थिक मुद्दों पर बात करने के साथ-साथ, मांझी ने सीट बंटवारे पर भी अपना रुख साफ कर दिया। सूत्रों के अनुसार, उन्होंने एनडीए नेतृत्व के सामने अपनी पार्टी ‘हम’ के लिए 12 से 15 सीटों की मांग रखी है। मांझी का तर्क है कि उनकी पार्टी का मगध क्षेत्र (गया, जहानाबाद, अरवल, औरंगाबाद) के महादलित वोट बैंक पर गहरा और निर्णायक प्रभाव है। उन्होंने कहा कि अगर एनडीए को इस क्षेत्र में क्लीन स्वीप करना है, तो ‘हम’ को उसकी ताकत के हिसाब से सीटें देनी होंगी। उन्होंने कहा कि वह एनडीए के एक मजबूत और वफादार सहयोगी हैं और उन्हें उम्मीद है कि उन्हें ‘सम्मानजनक’ हिस्सेदारी मिलेगी।
चिराग और कुशवाहा के बाद मांझी ने भी बढ़ाई टेंशन
जीतन राम मांझी का यह बयान ठीक उस समय आया है, जब चिराग पासवान की लोजपा (आर) और उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएम भी एनडीए के भीतर अधिक सीटों के लिए दबाव बना रही है। चिराग पासवान जहां 30 से ज्यादा सीटों की मांग पर अड़े हैं, वहीं अब मांझी के इस बयान ने बीजेपी और जेडीयू के शीर्ष नेतृत्व के लिए सीट बंटवारे की गुत्थी को और भी उलझा दिया है।
Bihar Politics: नजरें अब बीजेपी-जेडीयू के फैसले पर
अब जब एनडीए के सभी छोटे सहयोगी दलों ने अपनी-अपनी मांगें सामने रख दी हैं, तो गेंद अब गठबंधन के दो ‘बड़े भाइयों’, यानी बीजेपी और जेडीयू, के पाले में है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि वे अपने सहयोगियों को संतुष्ट करने और गठबंधन को एकजुट रखने के लिए क्या फॉर्मूला निकालते हैं।