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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, डिजिटल अरेस्ट स्कैम केस में CBI को मिली पूरी जांच की ताकत, देशभर में होगी कार्रवाई

सुप्रीम कोर्ट ने स्वत, संज्ञान लेते हुए सभी डिजिटल अरेस्ट फ्रॉड FIR CBI को ट्रांसफर करने का आदेश दिया, खासकर IT एक्ट 2021 के तहत दर्ज केस।

Supreme Court: देश में तेजी से बढ़ रहे डिजिटल अरेस्ट स्कैम से आम लोगों को हो रही परेशानी पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा कदम उठाया है। 1 दिसंबर 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने अपने आप ही इस मुद्दे पर सुनवाई शुरू की। कोर्ट ने सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (CBI) को सभी डिजिटल अरेस्ट फ्रॉड केस की जांच करने का पूरा अधिकार दे दिया। अब देश के हर राज्य से जुड़े ऐसे केस CBI को सौंपे जाएंगे। यह फैसला बुजुर्गों और साधारण लोगों के लिए बड़ी राहत है, जो फोन पर झूठी गिरफ्तारी के नाम पर ठगे जा रहे हैं। कोर्ट ने राज्यों को साइबर क्राइम सेंटर खोलने का भी आदेश दिया। इससे स्कैम करने वालों को पकड़ना आसान होगा। लाखों लोग जो अपना पैसा खो चुके हैं, उन्हें अब न्याय मिलने की उम्मीद है।

डिजिटल अरेस्ट स्कैम क्या है और यह कैसे फैल रहा है?

डिजिटल अरेस्ट स्कैम एक नया तरह का धोखा है। इसमें ठग फोन या वीडियो कॉल पर खुद को पुलिस या सरकारी अधिकारी बताते हैं। वे कहते हैं कि आपका नाम किसी बड़े अपराध में आ गया है और आपको घर में ही गिरफ्तार रखा जाएगा। डराने के लिए वे पैसे मांगते हैं या बैंक डिटेल्स ले लेते हैं। ज्यादातर बुजुर्ग और गांव के लोग इसका शिकार बनते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह स्कैम पूरे देश में फैल चुका है। कई राज्यों में FIR दर्ज हो चुकी हैं। ठग बैंक खाते और मोबाइल नंबरों का गलत इस्तेमाल करते हैं। कोर्ट ने नोटिस जारी कर कहा कि यह समस्या इतनी बड़ी हो गई है कि CBI को ही जांच सौंपी जाए। इससे स्कैम के सारे कनेक्शन खुलेंगे।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले की मुख्य बातें

सुप्रीम कोर्ट की बेंच, जिसमें चीफ जस्टिस सूर्या कांत और जस्टिस ज्योमल्या बागची हैं, ने कई अहम निर्देश दिए। सबसे पहले, सभी डिजिटल अरेस्ट स्कैम से जुड़ी FIR CBI को ट्रांसफर करनी होंगी। खासकर IT एक्ट 2021 के तहत दर्ज केस। वेस्ट बंगाल, तमिलनाडु, कर्नाटक और तेलंगाना जैसे राज्यों को CBI को जांच की इजाजत देनी होगी। कोर्ट ने RBI और टेलीकॉम डिपार्टमेंट को नोटिस भेजा। RBI को AI और मशीन लर्निंग से शक वाली बैंक अकाउंट्स ढूंढने और पैसे फ्रीज करने का आदेश दिया। अगर बैंक वाले स्कैम में मदद करते पाए गए, तो उनके खिलाफ भ्रष्टाचार रोकथाम कानून के तहत कार्रवाई होगी। टेलीकॉम कंपनियों को एक नाम पर कई सिम कार्ड देने पर रोक लगानी होगी। CBI को जरूरत पड़े तो इंटरपोल से मदद ले सकती है। सभी राज्यों को साइबर क्राइम सेंटर जल्द खोलने को कहा गया। जब्त मोबाइल फोनों का डेटा सुरक्षित रखना होगा।

डिजिटल अरेस्ट स्कैम के शिकार कौन और कैसे बचें?

यह स्कैम ज्यादातर बुजुर्गों को निशाना बनाता है। चीफ जस्टिस सूर्या कांत ने कहा, “कोर्ट ने खुद इसकी सूचना ली तो कई पीड़ित न्याय मांगने आए। यह अपराध इतना फैल गया है कि हर केस की गहराई से जांच जरूरी है।” कोर्ट का मानना है कि ठग नए-नए तरीके अपनाते हैं। इसलिए देशव्यापी कार्रवाई ही समाधान है। आम लोग बचाव के लिए सतर्क रहें। अज्ञात कॉल पर पैसे न दें। संदेह हो तो नजदीकी थाने में शिकायत करें। RBI ने भी सलाह दी कि शक वाली कॉल पर साइबर हेल्पलाइन 1930 पर कॉल करें। इस फैसले से स्कैम रोकने में मदद मिलेगी। गांवों और छोटे शहरों के लोग अब सुरक्षित महसूस करेंगे।

कोर्ट के निर्देशों से क्या फायदा होगा?

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से CBI को मजबूत हथियार मिला। वह हर लिंक की जांच करेगी। बैंक और टेलीकॉम कंपनियां CBI के साथ पूरा सहयोग करेंगी। IT इंटरमीडियरी रूल्स 2021 के तहत सभी को मदद देनी होगी। राज्य जो CBI को सामान्य इजाजत नहीं देते, उन्हें IT केस के लिए खास मंजूरी देनी होगी। साइबर क्राइम सेंटर से स्थानीय स्तर पर निगरानी बढ़ेगी। AI टूल्स से फ्रॉड जल्दी पकड़े जाएंगे। बुजुर्गों के लिए हर केस की पूरी जांच होगी। इससे स्कैम करने वालों का हौसला टूटेगा। देश की डिजिटल सुरक्षा मजबूत बनेगी।

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