Bihar Politics: मिथिलांचल में 'विकास' बनाम 'जातीय समीकरण' की जंग, AIIMS-एयरपोर्ट के सहारे NDA, RJD को M-Y पर भरोसा
दरभंगा-MY समीकरण पर NDA-RJD मुकाबला; वंदे भारत, एम्स से विकास का दावा, सामाजिक न्याय पर तेजस्वी का फोकस

Bihar Politics: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की लड़ाई का सबसे दिलचस्प मुकाबला मिथिलांचल की धरती पर देखने को मिल सकता है। दरभंगा, मधुबनी और समस्तीपुर जैसे जिलों वाले इस क्षेत्र में इस बार का चुनाव सीधे तौर पर ‘विकास’ के मुद्दों और परंपरागत ‘जातीय समीकरणों’ के बीच लड़ा जाएगा। एक तरफ जहां सत्ताधारी एनडीए (NDA) दरभंगा में बने एयरपोर्ट, एम्स (AIIMS), और नई ट्रेनों को अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि बताकर ‘विकासवाद’ के एजेंडे पर वोट मांग रही है, वहीं दूसरी ओर, विपक्षी महागठबंधन आरजेडी (RJD) के नेतृत्व में अपने मजबूत M-Y (मुस्लिम-यादव) समीकरण के सहारे इस किले को भेदने की तैयारी में है।
NDA का तुरुप का इक्का: एयरपोर्ट, एम्स और वंदे भारत
एनडीए, खासकर बीजेपी, के लिए मिथिलांचल इस बार प्रतिष्ठा का सवाल है। पिछले कुछ वर्षों में, केंद्र और राज्य की “डबल इंजन” सरकार ने इस क्षेत्र को कई बड़ी परियोजनाएं दी हैं। दरभंगा में एयरपोर्ट का शुरू होना, जो देश के सबसे सफल ‘उड़ान’ हवाई अड्डों में से एक बन गया है, इस क्षेत्र के लिए एक गेम-चेंजर साबित हुआ है। इसके अलावा, दरभंगा एम्स का निर्माण कार्य और इस क्षेत्र को वंदे भारत और अमृत भारत जैसी आधुनिक ट्रेनों से जोड़ना, एनडीए के विकास के दावे को मजबूती देता है। बीजेपी नेता अपनी रैलियों में इन्हीं उपलब्धियों को गिनाकर यह संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि उनकी सरकार ने मिथिलांचल के दशकों पुराने पिछड़ेपन को दूर करने का काम किया है।
महागठबंधन की ताकत: M-Y और सामाजिक न्याय का नारा
विकास के इन दावों के बावजूद, महागठबंधन को अपनी परंपरागत जातीय समीकरणों की ताकत पर पूरा भरोसा है। मिथिलांचल का यह क्षेत्र आरजेडी का एक मजबूत गढ़ माना जाता है, जहां मुस्लिम और यादव मतदाताओं की बड़ी संख्या है। तेजस्वी यादव के नेतृत्व में आरजेडी इस बार ‘सामाजिक न्याय’ और ‘रोजगार’ के मुद्दे को लेकर जनता के बीच जा रही है। महागठबंधन का मानना है कि विकास के दावे अपनी जगह हैं, लेकिन जब वोटिंग का दिन आएगा, तो मतदाता अपने सामाजिक और जातीय समीकरणों के आधार पर ही वोट करेगा।
Bihar Politics: लड़ाई को त्रिकोणीय बना सकते हैं अन्य फैक्टर
हालांकि मुख्य मुकाबला एनडीए के ‘विकास’ और महागठबंधन के ‘जातीय समीकरण’ के बीच ही है, लेकिन कुछ अन्य फैक्टर भी इस लड़ाई को प्रभावित कर सकते हैं। मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी (VIP) का निषाद (मल्लाह) वोट बैंक पर प्रभाव, और असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM की सीमांचल से सटे इस इलाके में सक्रियता, दोनों ही गठबंधनों का खेल बिगाड़ सकती है।
मिथिलांचल का यह चुनाव इस बात का लिटमस टेस्ट होगा कि क्या बिहार की राजनीति अब विकास के मुद्दों पर आगे बढ़ रही है, या फिर जातीय समीकरण आज भी चुनावी जीत की सबसे बड़ी गारंटी हैं।