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संचार साथी ऐप से जासूसी का डर? सिंधिया ने संसद में दी साफ सफाई, यूजर के हाथ में पूरा कंट्रोल

मंत्री ने लोकसभा में कहा- यह साइबर फ्रॉड रोकने के लिए स्वैच्छिक ऐप है, पूरा कंट्रोल यूजर के हाथ में।

Sanchaar Saathi: बिहार से लेकर पूरे देश में संचार साथी ऐप को लेकर बहस छिड़ गई है। क्या यह ऐप जासूसी का जरिया बन सकता है? इस सवाल पर संचार मंत्री ज्योतिरादिया सिंधिया ने बुधवार को लोकसभा में साफ कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है। न तो संचार साथी ऐप से जासूसी संभव है और न ही कभी होगी। विपक्ष के सवालों के बीच सिंधिया ने बताया कि यह ऐप लोगों को साइबर फ्रॉड से बचाने के लिए लाया गया है। नरेंद्र मोदी सरकार का मकसद नागरिकों को ताकत देना है, न कि निगरानी करना। छोटे शहरों और गांवों के लोग जो मोबाइल पर फ्रॉड का शिकार बनते हैं, उनके लिए यह ऐप वरदान साबित हो सकता है। लेकिन प्राइवेसी की चिंता जायज है, इसलिए सरकार ने हर कदम पर पारदर्शिता का वादा किया है।

संचार साथी ऐप कैसे काम करता है, रजिस्ट्रेशन बिना कुछ नहीं

संचार साथी ऐप की शुरुआत 2023 में एक पोर्टल के रूप में हुई थी, जो सोशल मीडिया के गलत इस्तेमाल और फ्रॉड रोकने के लिए बनाया गया। 2025 में इसे मोबाइल ऐप का रूप दिया गया। सिंधिया ने संसद में स्पष्ट किया कि यह ऐप पूरी तरह स्वैच्छिक है। बिना यूजर के रजिस्ट्रेशन के यह काम ही नहीं करता। नया फोन खरीदने पर यह प्री-इंस्टॉल्ड होगा, लेकिन अगर आप रजिस्टर नहीं करते तो यह बेकार पड़ा रहेगा। सिंधिया ने कहा, “नागरिक के पास पूरा हक है। हमने सिर्फ ऐप को सबके लिए उपलब्ध कराया है।” फोन से इसे हटा भी सकते हैं जैसे कोई और ऐप। पोर्टल के जरिए लाखों चोरी के मोबाइल ट्रेस हो चुके हैं और छह लाख फ्रॉड केस रुक चुके हैं। यूजर की जानकारी बिना सहमति के इस्तेमाल नहीं होगी।

जासूसी के आरोपों पर सिंधिया का जवाब, विपक्ष की चिंता को किया दूर

विपक्ष ने मंगलवार को तीखा विरोध जताया। कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा समेत अन्य सदस्यों ने कहा कि लोगों को बिना सरकारी नजर के निजी मैसेज भेजने का हक होना चाहिए। सिंधिया ने जवाब दिया कि सरकार का कोई हठ नहीं है। जनता के सुझावों पर ऐप में बदलाव किए जाएंगे। उन्होंने जोर देकर कहा, “सरकार लोगों के हाथ में ताकत देना चाहती है ताकि वे खुद को सुरक्षित रख सकें।” 28 नवंबर 2025 को संचार मंत्रालय ने सभी नए हैंडसेट पर ऐप प्री-लोड करने का आदेश दिया था। सिंधिया ने आश्वासन दिया कि यह साइबर सिक्योरिटी के लिए है, न कि जासूसी के लिए। कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा के पूरक सवाल पर भी उन्होंने यूजर कंट्रोल पर जोर दिया।

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