Bihar Chunav: 'शाम होते ही घर में दुबक जाते थे लोग', नीतीश कुमार ने बिहार को फिर दिलाई 'जंगलराज' की याद, लालू-राबड़ी पर बोला हमला
'शाम को लोग घर में दुबकते थे', नीतीश ने लालू-राबड़ी के जंगलराज पर साधा निशाना, बिहार में सुशासन की तारीफ

Bihar Chunav: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की रणभेरी बजने से पहले, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने सबसे पुराने और सबसे कारगर राजनीतिक हथियार, यानी ‘जंगलराज’ की याद दिलाकर, राष्ट्रीय जनता दल (RJD) पर अब तक का सबसे तीखा हमला बोला है। एक जनसभा को संबोधित करते हुए, नीतीश कुमार ने 15 साल के लालू-राबड़ी शासनकाल की तुलना अपने 18 साल के कार्यकाल से की और कहा कि उनकी सरकार ने बिहार को भय के माहौल से निकालकर ‘कानून का राज’ स्थापित किया है।
‘पति-पत्नी के राज में कोई घर से नहीं निकलता था’
नीतीश कुमार ने आरजेडी पर निशाना साधते हुए कहा, “आज की युवा पीढ़ी को शायद याद नहीं होगा, लेकिन आप अपने माता-पिता से पूछिए कि 2005 से पहले बिहार कैसा था। शाम 7 बजे के बाद कोई डर के मारे घर से बाहर नहीं निकलता था। अपहरण एक उद्योग बन गया था।” उन्होंने कहा कि उस पति-पत्नी (लालू-राबड़ी) के राज में कानून का कोई इकबाल नहीं था और बिहार की पहचान अपराध से होती थी।
‘हमने कानून का राज स्थापित किया, महिलाएं रात में घूमती हैं’
मुख्यमंत्री ने अपने शासनकाल की तारीफ करते हुए कहा कि 2005 में जब एनडीए की सरकार बनी, तो हमारी पहली प्राथमिकता कानून का राज स्थापित करना था। हमने अपराधियों को सलाखों के पीछे पहुंचाया और बिहार की जनता को भयमुक्त माहौल दिया। उन्होंने कहा, “आज देखिए, देर रात तक लड़कियां और महिलाएं बिना किसी डर के घूम सकती हैं। यही हमारे ‘सुशासन’ की पहचान है।”
‘सड़क-बिजली नहीं थी, हमने हर घर तक पहुंचाई’
नीतीश कुमार ने विकास के मुद्दे पर भी आरजेडी को घेरा। उन्होंने कहा, “पहले बिहार में न सड़क थी, न बिजली। सड़क में गड्ढा है या गड्ढे में सड़क, यह पता ही नहीं चलता था। बिजली आती नहीं थी, बस कभी-कभी दर्शन देती थी।” उन्होंने अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनाते हुए कहा, “हमने हर गांव को पक्की सड़क से जोड़ा और आज हर घर में बिजली है। हमने हर घर तक नल का जल पहुंचाया है।”
Bihar Chunav: 15 साल बनाम 15 साल: NDA की मुख्य चुनावी रणनीति
नीतीश कुमार के इस आक्रामक भाषण से यह साफ हो गया है कि एनडीए 2025 का चुनाव ’15 साल बनाम 15 साल’ के नैरेटिव पर ही लड़ेगी। एनडीए की रणनीति बिहार की जनता, खासकर युवा और महिला मतदाताओं को, आरजेडी के शासनकाल के कथित ‘बुरे दिनों’ की याद दिलाना है। वे यह स्थापित करना चाहते हैं कि बिहार का भविष्य विकास और सुशासन में है, न कि जंगलराज की वापसी में। यह रणनीति तेजस्वी यादव के रोजगार के वादे की काट के तौर पर देखी जा रही है।