Bihar News: बिहार की 25 लाख महिलाओं को फिर मिला तोहफा, नीतीश सरकार ने खाते में भेजे 10,000 रुपये की दूसरी किस्त
नीतीश सरकार का बड़ा चुनावी दांव, महिला रोजगार योजना की दूसरी किस्त जारी, एक हफ्ते में 20,000 की मदद।

Bihar News: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की आचार संहिता लागू होने से ठीक पहले, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार ने महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक और बड़ा अध्याय जोड़ दिया है। ‘मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना’ के तहत पहली किस्त जारी करने के ठीक एक हफ्ते बाद, आज शुक्रवार 3 अक्टूबर को, नीतीश सरकार ने 25 लाख महिलाओं के बैंक खातों में 10,000 रुपये की दूसरी किस्त भी सीधे ट्रांसफर कर दी है, इस योजना के दूसरे चरण का शुभारंभ करते हुए। एक हफ्ते के भीतर महिलाओं के खाते में कुल 20,000 रुपये की सीधी आर्थिक मदद भेजकर, एनडीए सरकार ने अपने ‘महिला-हितैषी’ होने के एजेंडे को और मजबूती दी है।
क्या है मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना?
इस योजना का मुख्य उद्देश्य राज्य की महिलाओं, विशेषकर ग्रामीण और आर्थिक रूप से कमजोर पृष्ठभूमि की महिलाओं को, स्वरोजगार के लिए प्रोत्साहित करना है। सरकार महिलाओं को अपना छोटा-मोटा व्यवसाय (जैसे सिलाई-कढ़ाई, दुकान, पशुपालन) शुरू करने के लिए शुरुआती पूंजी (seed money) के रूप में यह वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है। यह राशि सीधे लाभार्थी महिला के बैंक खाते में भेजी जा रही है, ताकि वह बिना किसी बिचौलिए के इसका पूरा लाभ उठा सके।
जीविका दीदियों के माध्यम से हो रहा क्रियान्वयन
इस योजना को जमीन पर उतारने की जिम्मेदारी बिहार के ग्रामीण विकास विभाग और ‘जीविका’ मिशन को सौंपी गई है। जीविका दीदियों के विशाल नेटवर्क का उपयोग करके, स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी पात्र महिलाओं की पहचान की जा रही है और उनके बैंक खातों का सत्यापन किया जा रहा है। यह पूरी प्रक्रिया डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के माध्यम से की जा रही है।
चुनावी रेवड़ी या ‘महिला सशक्तिकरण’?
नीतीश सरकार के इस कदम पर विपक्षी महागठबंधन ने तीखा हमला बोला है। आरजेडी ने इसे “चुनावी रिश्वत” और “आचार संहिता का मजाक” बताया है। विपक्ष का आरोप है कि सरकार साढ़े चार साल तक सोती रही और अब चुनाव आते ही उसे महिलाओं की याद आ गई है। वहीं, एनडीए इस कदम को ‘महिला सशक्तिकरण’ की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम बता रहा है। जेडीयू और बीजेपी का कहना है कि यह कोई ‘रेवड़ी’ नहीं, बल्कि बिहार की माताओं-बहनों को आत्मनिर्भर बनाने का एक जरिया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह ‘डबल धमाका’ नीतीश कुमार का मास्टरस्ट्रोक साबित हो सकता है।