Bihar Politics: बिहार चुनाव से पहले लालू परिवार में सबसे बड़ी फूट, तेज प्रताप यादव ने बनाई नई पार्टी 'जनशक्ति जनता दल', तेजस्वी को सीधी चुनौती
बिहार: चुनाव से पहले लालू परिवार में सबसे बड़ी फूट, तेज प्रताप ने बनाई नई पार्टी, तेजस्वी को चुनौती।

Bihar Politics: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से ठीक पहले, राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और लालू प्रसाद यादव के परिवार में अब तक की सबसे बड़ी फूट पड़ गई है। लालू के बड़े बेटे और पूर्व मंत्री तेज प्रताप यादव ने आज, शुक्रवार को, आरजेडी से बगावत करते हुए अपनी नई राजनीतिक पार्टी ‘जनशक्ति जनता दल’ बनाने का ऐलान कर दिया है। इस कदम को सीधे तौर पर उनके छोटे भाई और विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव के नेतृत्व को एक खुली चुनौती के रूप में देखा जा रहा है। इस ऐलान के साथ ही महागठबंधन के भीतर भूचाल आ गया और बिहार की चुनावी राजनीति के समीकरण पूरी तरह बदल गए हैं।
जनशक्ति जनता दल’ के नाम से बनाया नया मोर्चा
तेज प्रताप यादव ने पटना में अपने समर्थकों के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर यह बड़ी घोषणा की। उन्होंने कहा कि उनकी नई पार्टी का नाम ‘जनशक्ति जनता दल’ होगा और यह पार्टी लालू प्रसाद यादव के ‘सच्चे सामाजिक न्याय’ के सिद्धांतों पर चलेगी। पार्टी के नाम में ‘जनता दल’ शब्द का इस्तेमाल यह साफ दिखाता है कि तेज प्रताप अपने पिता की राजनीतिक विरासत पर सीधा दावा ठोक रहे हैं। उन्होंने कहा कि वह जल्द ही पार्टी के झंडे और चुनाव चिन्ह की घोषणा करेंगे।
RJD पर कुछ बाहरी लोगों का कब्जा’, तेज प्रताप का आरोप
लंबे समय से पार्टी में अपनी अनदेखी से नाराज चल रहे तेज प्रताप यादव ने तेजस्वी यादव पर सीधा हमला तो नहीं बोला, लेकिन उनके करीबियों पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने आरोप लगाया, “आरजेडी पर आज कुछ बाहरी सलाहकारों और चापलूसों का कब्जा हो गया है, जो पार्टी के पुराने और समर्पित कार्यकर्ताओं की अनदेखी कर रहे हैं। माना जा रहा है कि उनका इशारा तेजस्वी के राजनीतिक सलाहकार संजय यादव की ओर था। तेज प्रताप ने कहा कि 2025 के चुनाव के लिए टिकट बंटवारे में जिस तरह से पार्टी के निष्ठावान लोगों को नजरअंदाज किया जा रहा है, वह बर्दाश्त से बाहर है।
तेजस्वी की ‘सीएम कुर्सी’ की राह में भाई ही बना रोड़ा
तेज प्रताप की इस बगावत को तेजस्वी यादव के ‘मुख्यमंत्री’ बनने के सपने के लिए एक बड़े झटके के तौर पर देखा जा रहा है। ‘जनशक्ति जनता दल’ अब बिहार की लगभग सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार सकती है। इससे आरजेडी के कोर वोट बैंक, यानी यादव और मुस्लिम (M-Y) वोटों में सीधा बंटवारा होगा। राजनीतिक विश्लेषक इसकी तुलना 2020 के चुनाव में चिराग पासवान की बगावत से कर रहे हैं, जिसने जेडीयू को भारी नुकसान पहुंचाया था। ठीक उसी तरह, अब तेज प्रताप की पार्टी आरजेडी का खेल बिगाड़ने का काम करेगी।
NDA को मिला बैठे-बिठाए मौका, RJD में भगदड़ की आशंका
इस पारिवारिक फूट का सबसे बड़ा फायदा सीधे तौर पर एनडीए (NDA) को मिलता दिख रहा है। एनडीए अब ‘परिवारवाद’ और आरजेडी की आंतरिक कलह को एक बड़ा चुनावी मुद्दा बनाएगी। इस घोषणा के बाद, यह भी आशंका जताई जा रही है कि आरजेडी के कई नाराज नेता, जिन्हें तेजस्वी यादव से टिकट मिलने की उम्मीद नहीं है, वे अब तेज प्रताप की नई पार्टी का दामन थाम सकते हैं। इससे चुनाव से ठीक पहले आरजेडी में एक बड़ी भगदड़ की स्थिति पैदा हो सकती है।