
Bihar Election 2025: पटना, बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का शेड्यूल घोषित होते ही पुरानी यादें ताजा हो गई हैं। निर्वाचन आयोग ने दो चरणों में मतदान कराने का ऐलान किया है, जो 40 साल बाद हो रहा है। आखिरी बार 1985 में भी ऐसा ही फॉर्मेट था, जब कांग्रेस ने जबरदस्त जीत हासिल की थी। इस बार पहले चरण में 6 नवंबर और दूसरे में 11 नवंबर को वोटिंग होगी, जबकि 14 नवंबर को नतीजे आएंगे। कुल 243 सीटों पर होने वाले इस चुनाव में 7.43 करोड़ मतदाता भाग लेंगे, जिनमें 14 लाख नए वोटर हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि एसआईआर प्रक्रिया से वोटर लिस्ट शुद्ध हुई है। जो नाम छूट गए, वे नामांकन से 10 दिन पहले तक जुड़ सकेंगे।
Bihar Election 2025: बिहार चुनावों का सफर
बिहार में 1952 से अब तक 17 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। शुरूआती दौर में चरण कम थे, लेकिन सुरक्षा और लॉजिस्टिक्स कारणों से संख्या बढ़ती गई। 1985 में दो चरणों में चुनाव हुए, जो आखिरी बार था। उसके बाद 1990 में तीन, 1995 में चार और 2000 में पांच चरण बने। 2005 में फरवरी चुनाव में सरकार न बनने से अक्टूबर में दोबारा वोटिंग हुई। 2010 में सबसे ज्यादा छह चरण रिकॉर्ड हुए। 2015 और 2020 में पांच-पांच चरण रहे। अब 2025 में दो चरणों का फैसला ऐतिहासिक है। आयोग ने हर बूथ पर 1200 से ज्यादा वोटर न रखने का नियम बनाया है, जिससे पोलिंग स्टेशन बढ़ेंगे। हर जगह वेबकास्टिंग होगी, ताकि पारदर्शिता बनी रहे।
Bihar Election 2025: 1985 का ऐतिहासिक चुनाव
1985 का चुनाव बिहार के इतिहास का सुनहरा अध्याय था। दो चरणों में हुए इस मुकाबले में कांग्रेस ने 229 में से 196 सीटें जीतीं, जो पूर्ण बहुमति था। लोक दल मुख्य विपक्ष बना, जबकि भाजपा को 16 और जनता पार्टी को 13 सीटें मिलीं। लेकिन यह जीत हिंसा की छाया में आई। पूरे चुनाव में 1370 हिंसक घटनाएं हुईं, जिनमें 69 मौतें दर्ज की गईं। नामांकन के दिन 310 घटनाओं में 49 लोग मारे गए। मसौढ़ी, हटिया और नालंदा में प्रत्याशियों की हत्या हुई। बोकारो में स्वतंत्र उम्मीदवार बनवारी राम की संदिग्ध मौत हुई। बूथ लूटने की घटनाएं आम रहीं। शांतिपूर्ण वोटिंग के लिए 200 केंद्रीय अर्धसैनिक बल की कंपनियां तैनात की गईं। बिहार पुलिस और होम गार्ड्स ने भी ड्यूटी की। हर बूथ पर स्थायी पुलिस चौकी बनी। यह चुनाव बिहार की अस्थिर राजनीति का प्रतीक बना।
1985 के बाद अस्थिरता: एक कार्यकाल में चार मुख्यमंत्री
कांग्रेस की जीत के बावजूद बिहार में राजनीतिक उथल-पुथल रही। 1985 से 1990 तक एक ही कार्यकाल में चार मुख्यमंत्री बदले:-
- बिंदेश्वरी दुबे (1985-1988)
- भागवत झा आजाद (करीब एक साल)
- सत्येंद्र नारायण सिन्हा (कुछ महीने)
- जगन्नाथ मिश्रा
यह दौर बिहार की अस्थिरता को दर्शाता है। उसके बाद जनता दल, आरजेडी और एनडीए का दौर चला। वर्तमान विधानसभा में भाजपा के 80 विधायक, आरजेडी के 77, जेडीयू के 45 और कांग्रेस के 19 हैं। बहुमति के लिए 122 सीटें जरूरी हैं।
2025 चुनाव की खासियतें, पारदर्शिता और सुविधाएं
इस बार चुनाव सुगम और शांतिपूर्ण होंगे। आयोग ने राजनीतिक दलों और अधिकारियों से सुझाव लिए। 203 सामान्य, 38 एससी और 2 एसटी सीटें हैं। महिलाओं के वोटर 3.65 करोड़ हैं। नए वोटरों के लिए विशेष अभियान चलेगा। आयोग का दावा है कि यह सबसे पारदर्शी चुनाव होगा। एनडीए विकास का दावा कर रहा है, जबकि महागठबंधन बेरोजगारी पर हमलावर। बिहार के लोग तय करेंगे कि इतिहास दोहराया जाएगा या नया अध्याय बनेगा।