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Bihar Election 2025: 'विधायक जी 5 साल कहां थे?'... जनता ने मांगा हिसाब, आनंद मोहन के 'लापता' पोस्टर लगे, विजय सिन्हा से तीखे सवाल

बिहार चुनाव में इस बार बागी और विपक्षी नेताओं से ज्यादा, मौजूदा विधायकों को ही जनता के गुस्से का सामना करना पड़ रहा है। शिवहर से लेकर लखीसराय तक, वोटर सीधे 'हिसाब' मांग रहे हैं।

Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव का प्रचार जैसे-जैसे जोर पकड़ रहा है, वैसे-वैसे चुनावी मैदान का मिजाज भी बदलता जा रहा है। इस बार का चुनाव सिर्फ पार्टियों के वादों पर नहीं, बल्कि मौजूदा विधायकों के 5 साल के ‘रिपोर्ट कार्ड’ पर लड़ा जा रहा है। राज्य के कई हिस्सों में, बागी या विपक्षी उम्मीदवारों से ज्यादा, सत्ताधारी एनडीए (NDA) के मौजूदा विधायकों और नेताओं को ही जनता के तीखे सवालों और गुस्से का सामना करना पड़ रहा है।

जनता अपने लापता विधायकों से 5 साल का हिसाब मांग रही है। कहीं ‘लापता’ होने के पोस्टर लगाए जा रहे हैं, तो कहीं जनता सीधे नेताओं को घेरकर विकास कार्यों पर सवाल पूछ रही है।

Bihar Election 2025: शिवहर में ‘लापता’ हुए आनंद मोहन और उनके विधायक बेटे

इस जन आक्रोश का सबसे बड़ा उदाहरण शिवहर में देखने को मिला, जो JDU सांसद आनंद मोहन का गढ़ माना जाता है।

  • क्या है मामला: शिवहर में कई जगहों पर JDU सांसद आनंद मोहन (Anand Mohan) और उनके विधायक बेटे चेतन आनंद के ‘लापता’ होने के पोस्टर चिपकाए गए हैं।
  • क्यों है गुस्सा: चेतन आनंद 2020 में RJD के टिकट पर विधायक बने थे, लेकिन बाद में पाला बदलकर JDU में शामिल हो गए। स्थानीय लोगों का आरोप है कि चुनाव जीतने के बाद से ही विधायक और सांसद, दोनों ही अपने क्षेत्र से गायब हैं। लोगों में इस बात को लेकर भारी नाराजगी है कि विकास का कोई काम नहीं हुआ और जिन्होंने उन्हें वोट दिया, वे ही अब ‘लापता’ हो गए हैं। यह नाराजगी एनडीए के लिए शिवहर सीट पर बड़ी मुसीबत खड़ी कर सकती है।

डिप्टी CM विजय सिन्हा से भी तीखे सवाल

जनता के गुस्से का सामना सिर्फ शिवहर में ही नहीं, बल्कि लखीसराय में भी देखने को मिला, जहां से राज्य के उपमुख्यमंत्री और बीजेपी के कद्दावर नेता विजय सिन्हा (Vijay Sinha) विधायक हैं।

  • क्या है मामला: हाल ही में अपने विधानसभा क्षेत्र में एक चुनावी कार्यक्रम के दौरान, विजय सिन्हा को स्थानीय लोगों के भारी विरोध का सामना करना पड़ा।
  • जनता ने घेरा: लोगों ने उन्हें घेरकर 5 साल का हिसाब मांगा। जनता का आरोप था कि वे चुनाव जीतने के बाद से ही अपने क्षेत्र में नहीं दिखे और इलाके में विकास का कोई काम नहीं हुआ। इस घटना के वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं, जिसमें लोग उनसे तीखे सवाल पूछते नजर आ रहे हैं।

क्या हैं इस गुस्से के मायने?

यह घटनाएं सिर्फ दो सीटों तक सीमित नहीं हैं। बिहार के कई अन्य जिलों से भी ऐसी ही खबरें आ रही हैं, जहां मतदाता अपने मौजूदा विधायकों से उनके वादों और उनकी 5 साल की उपस्थिति का हिसाब मांग रहे हैं।

  • बदलता वोटर: यह ट्रेंड दिखाता है कि बिहार का वोटर अब जागरूक हो रहा है और सिर्फ जाति या गठबंधन के नाम पर वोट देने के बजाय, विकास और अपने प्रतिनिधि की उपलब्धता को भी पैमाना बना रहा है।
  • NDA के लिए चुनौती: चूंकि यह गुस्सा ज्यादातर सत्ताधारी दल के विधायकों के खिलाफ है, इसलिए यह एनडीए के लिए एक बड़ी चुनौती है। यह दिखाता है कि इस बार ‘डबल इंजन’ के नाम के साथ-साथ विधायकों की व्यक्तिगत परफॉर्मेंस की भी ‘अग्निपरीक्षा’ होगी।

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