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Bihar Chunav 2025: मोतिहारी में बीजेपी की छठी बार जीत की चाहत, राजद-महागठबंधन ने की पूरी तैयारी

चंपारण की मोतिहारी सीट पर BJP के प्रमोद कुमार VS RJD के ओम प्रकाश चौधरी, कांटे की टक्कर।

Bihar Chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की जंग तेज हो रही है। चंपारण जिले की मोतिहारी सीट पर बीजेपी अपनी लगातार छठी जीत हासिल करने को बेताब है। यह सीट महात्मा गांधी के चंपारण सत्याग्रह की धरती है, जहां स्वतंत्रता संग्राम की यादें ताजा हैं। बीजेपी के दिग्गज नेता प्रमोद कुमार, जो पिछले पांच चुनावों से यहां से जीतते आ रहे हैं, फिर से मैदान में उतरने वाले हैं। वहीं, राजद और महागठबंधन ने इस बार बीजेपी के इस किले को ढहाने की ठान ली है। राजद ने ओम प्रकाश चौधरी को उम्मीदवार बनाया है, जो विकास के मुद्दों पर बीजेपी पर हमलावर हैं। यह मुकाबला अनुभव और नए चेहरे के बीच होगा। स्थानीय लोग कह रहे हैं कि यह चुनाव मोतिहारी के भविष्य का फैसला करेगा।

मोतिहारी का गौरवशाली इतिहास: गांधीजी की कर्मभूमि

मोतिहारी चंपारण का केंद्र है, जहां 1917 में महात्मा गांधी ने नील किसानों के लिए सत्याग्रह शुरू किया। इस आंदोलन ने देश को आजादी की राह दिखाई। स्वतंत्र भारत में यहां लंबे समय तक कांग्रेस का राज रहा। 1952 से 1980 तक कांग्रेस ने सात बार जीत दर्ज की। इनमें शकुंतला देवी (1952, 1962), बिगू राम (1957), राम सेवक प्रसाद जयसवाल (1969) और प्रभावति गुप्ता (1972, 1977, 1980) शामिल हैं। 1967 में भारतीय जनसंघ के चंद्रिका प्रसाद यादव ने कांग्रेस को हराया। 1985, 1990 और 1995 में सीपीआई के त्रिवेणी तिवारी ने तीन बार जीत हासिल की। 2000 में राजद की रमा देवी ने पहली बार यहां कमल खिलाया। लेकिन 2005 से मोतिहारी बीजेपी का मजबूत किला बन गया। यह सीट अब चुनावी हॉटस्पॉट है।

Bihar Chunav 2025: प्रमोद कुमार की लगातार पांच जीतें

2005 के फरवरी और अक्टूबर चुनावों में प्रमोद कुमार ने बीजेपी की झंडा बुलंद किया। फिर 2010, 2015 और 2020 में भी उन्होंने विरोधियों को पीछे छोड़ दिया। वे दो बार बिहार सरकार में मंत्री भी रहे। अब बीजेपी उन्हें छठी बार टिकट देने की योजना बना रही है। प्रमोद कुमार का दावा है कि उनके कार्यकाल में मोतिहारी बदला है। 46 करोड़ की लागत से 2000 लोगों का महात्मा गांधी प्रेक्षागृह बना। चंद्रहिया में गांधी स्मारक, मोतीझील किनारे मरीन ड्राइव, स्वास्थ्य केंद्रों का विस्तार और पॉलिटेक्निक व इंजीनियरिंग कॉलेज में सुधार उनके योगदान हैं। आधुनिक खेल भवन और सत्याग्रह पार्क ने इलाके को नई पहचान दी। बीजेपी का मानना है कि मतदाता विकास के नाम पर फिर उनका साथ देंगे।

राजद-महागठबंधन की चुनौती: ओम प्रकाश चौधरी का हमला

राजद ने 2000 के बाद कई चेहरे आजमाए, लेकिन सफलता नहीं मिली। अब ओम प्रकाश चौधरी ने बीजेपी के खिलाफ मोर्चा संभाल लिया है। चौधरी का आरोप है कि प्रमोद कुमार के पांच सालों में विकास रुका रहा। जिला मुख्यालय में जलजमाव, खराब ड्रेनेज और सिवरेज सिस्टम, जर्जर नाले, अधूरा मोतीझील सौंदर्यीकरण, उद्योगों की कमी और बंद पड़े आयुर्वेद कॉलेज को न चालू करने जैसे मुद्दे वे उठा रहे हैं। महागठबंधन (राजद और उसके सहयोगी) ने रणनीति बनाई है कि इन कमजोरियों पर फोकस करेंगे। चौधरी कहते हैं, बीजेपी सिर्फ वादे करती है, काम नहीं। हम नया चेहरा लाकर बदलाव लाएंगे। यह मुकाबला बीजेपी के अनुभव और महागठबंधन की आक्रामकता का होगा।

चुनावी इतिहास: कौन-कौन जीता मोतिहारी से?

मोतिहारी के चुनावी सफर को देखें तो साफ है कि यहां बदलाव आते रहे हैं:

  • 1952: शकुंतला देवी (कांग्रेस)
  • 1957: बिगू राम (कांग्रेस)
  • 1962: शकुंतला देवी (कांग्रेस)
  • 1967: चंद्रिका प्रसाद यादव (भारतीय जनसंघ)
  • 1969: राम सेवक प्रसाद जयसवाल (कांग्रेस)
  •  1972: प्रभावति गुप्ता (कांग्रेस)
  • 1977: प्रभावति गुप्ता (कांग्रेस)
  • 1980: प्रभावति गुप्ता (कांग्रेस)
  • 1985: त्रिवेणी तिवारी (सीपीआई)
  • 1990: त्रिवेणी तिवारी (सीपीआई)
  • 1995: त्रिवेणी तिवारी (सीपीआई)
  • 2000: रमा देवी (राजद)
  • फरवरी 2005: प्रमोद कुमार (बीजेपी)
  • अक्टूबर 2005: प्रमोद कुमार (बीजेपी)
  • 2010: प्रमोद कुमार (बीजेपी)
  • 2015: प्रमोद कुमार (बीजेपी)
  • 2020: प्रमोद कुमार (बीजेपी)

यह सीट बिहार चुनाव का बड़ा केंद्र बनेगी। बीजेपी 125 सीटों पर 600 उम्मीदवारों पर विचार कर रही है। मोतिहारी के मतदाता तय करेंगे कि इतिहास दोहराया जाएगा या नया अध्याय लिखा जाएगा।

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