Bihar Election 2025: RJD के गढ़ 'मगध' को भेदने की NDA की बड़ी रणनीति, मांझी-कुशवाहा के सहारे 'डबल इंजन' सरकार
2025 चुनाव में मगध की 26 सीटें केंद्र, महादलित-ओबीसी वोट साधने की रणनीति; महागठबंधन का रोजगार मुद्दा vs NDA विकास

Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की सत्ता का रास्ता, पटना से ज्यादा मगध की धरती से होकर गुजरता है। यही कारण है कि 2020 के चुनाव में इस क्षेत्र में मात खाने वाला एनडीए (NDA) गठबंधन इस बार कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता। पिछले चुनाव में आरजेडी (RJD) और वाम दलों के दमदार प्रदर्शन से सबक लेते हुए, बीजेपी और जेडीयू ने इस बार मगध (मगध प्रमंडल) के किले को फतह करने के लिए एक विशेष और सधी हुई रणनीति बनाई है। इस रणनीति के केंद्र में हैं एनडीए के दो प्रमुख सहयोगी- पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा।
2020 में महागठबंधन का था दबदबा
मगध प्रमंडल, जिसमें गया, जहानाबाद, अरवल, औरंगाबाद और नवादा जैसे जिले आते हैं, की 26 विधानसभा सीटों पर 2020 के चुनाव में तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाले महागठबंधन का दबदबा रहा था। आरजेडी ने यहां शानदार प्रदर्शन किया था, और उसकी सहयोगी सीपीआई (माले) ने भी कई सीटों पर जीत दर्ज कर एनडीए को चौंका दिया था। एनडीए इस बार इसी नतीजे को पलटने के लिए चुनावी मैदान में उतर रहा है।
मांझी और कुशवाहा के सहारे नैया पार लगाने की कोशिश
2020 की हार से सबक लेते हुए, एनडीए इस बार मगध में एक नई सामाजिक इंजीनियरिंग के साथ उतर रहा है। एनडीए के सबसे बड़े तुरुप के इक्के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा हैं। जीतन राम मांझी का मगध क्षेत्र के महादलित (मुसहर) वोट बैंक पर गहरा प्रभाव है, जबकि उपेंद्र कुशवाहा, कोइरी-कुशवाहा समुदाय के बड़े नेता हैं। बीजेपी और जेडीयू को उम्मीद है कि इन दोनों नेताओं के साथ आने से वे आरजेडी के M-Y (मुस्लिम-यादव) समीकरण को कड़ी चुनौती दे पाएंगे और महादलित-ओबीसी वोटों को एनडीए के पक्ष में एकजुट कर सकेंगे।
‘रोजगार’ और ‘सामाजिक न्याय’ के मुद्दे पर कायम है महागठबंधन
वहीं दूसरी ओर, महागठबंधन अपने पुराने प्रदर्शन को लेकर आत्मविश्वास से भरा है। तेजस्वी यादव के नेतृत्व में आरजेडी और वाम दल एक बार फिर ‘रोजगार’, ‘महंगाई’ और ‘सामाजिक न्याय’ जैसे मुद्दों को लेकर जनता के बीच जा रहे हैं। उनका अभियान ‘डबल इंजन’ सरकार की कथित विफलताओं और युवाओं से किए गए वादों को पूरा न करने पर केंद्रित है। महागठबंधन को अपने परंपरागत M-Y वोट बैंक के साथ-साथ वाम दलों के कैडर वोट पर भी पूरा भरोसा है।
Bihar Election 2025: ‘विकास’ बनाम ‘जाति’, मगध में किसका पलड़ा भारी?
मगध की यह लड़ाई बिहार की क्लासिक चुनावी जंग का एक बेहतरीन उदाहरण होगी। एक तरफ एनडीए, जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा के जातीय समीकरण के साथ-साथ ‘कानून का राज’ और केंद्र-राज्य सरकार के ‘विकास’ के कामों (जैसे पटना-गया हाईवे) को अपना मुख्य हथियार बनाएगा। वहीं, दूसरी तरफ महागठबंधन, तेजस्वी यादव के ‘नौकरी’ के वादे और अपने परंपरागत जातीय समीकरणों के सहारे मैदान में उतरेगा। मगध का यह किला जो भी फतह करेगा, पटना की गद्दी पर उसका दावा उतना ही मजबूत हो जाएगा।