बच्चे बदतमीजी करते हैं तो क्या टोकना छोड़ दें? मां के सवाल पर प्रेमानंद महाराज की सीख हर पैरेंट्स के लिए जरूरी
प्रेमानंद महाराज की पेरेंटिंग सलाह, बच्चे बदतमीजी करें तो क्या करें? माता-पिता अपना फर्ज न छोड़ें।
Premanand Maharaj: वृंदावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज के पास अक्सर माता-पिता बच्चों की परवरिश की समस्याएं लेकर आते हैं। हाल ही में एक मां ने उनसे पूछा कि उनके बच्चे बड़े हो रहे हैं, बात नहीं मानते और बदतमीजी करते हैं। कई कोशिशों के बाद भी सुधार नहीं हो रहा तो क्या उन्हें टोकना बंद कर देना चाहिए या प्रभु पर छोड़ देना चाहिए। यह सवाल सुनकर प्रेमानंद महाराज ने जो जवाब दिया वह हर माता-पिता के लिए बड़ी सीख है। छोटे शहरों और गांवों में रहने वाले पैरेंट्स जो बच्चों के व्यवहार से परेशान हैं वे इस सलाह से बहुत कुछ सीख सकते हैं। महाराज की बातें इंस्टाग्राम वीडियो में वायरल हो रही हैं।
मां का सवाल: बच्चे बहस और बदतमीजी करते हैं क्या करें
वीडियो में मां ने बताया कि बच्चे अब बड़े हो गए हैं। वे बात नहीं सुनते, बहस करते हैं और बदतमीजी भी करते हैं। मां परेशान थीं कि बार-बार टोकने से रिश्ते खराब न हो जाएं। ऐसे में क्या टोकना बंद कर दें या बच्चों को भगवान पर छोड़ दें। यह सवाल आजकल कई घरों में आम है जहां बच्चे टीनीएज में पहुंचकर बड़ों की नहीं सुनते। मां का दर्द साफ झलक रहा था कि कोशिशें काम नहीं कर रही हैं।
प्रेमानंद महाराज का जवाब: माता-पिता अपना फर्ज कभी न छोड़ें
प्रेमानंद महाराज ने साफ कहा कि माता-पिता को अपने कर्तव्य का पालन करना चाहिए। बच्चों को ऐसे नहीं छोड़ना चाहिए क्योंकि उनका फर्ज है कि पुत्र को पढ़ाएं-लिखाएं और सही मार्ग दिखाएं। महाराज ने मां से कहा कि आप संन्यासी नहीं गृहस्थ हैं इसलिए बच्चों को सतमार्ग पर चलाना आपकी जिम्मेदारी है। टोकना बंद न करें बल्कि प्यार से समझाएं।
महाराज ने आगे समझाया कि माता-पिता का दायित्व है कि बच्चे उन्नतशील बनें, राष्ट्रसेवी और भगवद्सेवी बनें। इस जिम्मेदारी से पीछे न हटें। बच्चों की गलतियां सुधारना ही पैरेंटिंग है। प्रेमानंद महाराज की यह सलाह हर घर में गूंज रही है कि धैर्य रखें और फर्ज निभाएं। यह सीख बच्चों को सही रास्ता दिखाने में मदद करेगी।



