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Bihar Election 2025: पहले चरण की तस्वीर साफ, 2020 की तुलना में 30% उम्मीदवार घटे, जानें इस गिरावट के 3 बड़े मायने

बिहार चुनाव के पहले चरण की 121 सीटों पर नामांकन वापसी के बाद अब 1,071 प्रत्याशी ही मैदान में बचे हैं। यह 2020 के चुनाव की तुलना में लगभग 30% कम है, जो एक बड़े राजनीतिक बदलाव का संकेत दे रहा है।

Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण की तस्वीर अब पूरी तरह से साफ हो गई है। 6 नवंबर को होने वाले 121 सीटों के मतदान के लिए नामांकन वापसी की प्रक्रिया 20 अक्टूबर को समाप्त हो गई, जिसके बाद अंतिम सूची जारी कर दी गई है। इस बार पहले चरण में कुल 1,071 उम्मीदवार ही अपनी किस्मत आजमा रहे हैं, जो 2020 के विधानसभा चुनाव की तुलना में लगभग 30% कम है।

पिछले विधानसभा चुनाव (2020) में, इन्हीं सीटों पर लगभग 1,530 उम्मीदवारों ने पर्चा भरा था। उम्मीदवारों की संख्या में आई यह भारी गिरावट बिहार के बदलते राजनीतिक परिदृश्य और एक स्पष्ट, दो-ध्रुवीय मुकाबले की ओर इशारा कर रही है।

क्यों घटी उम्मीदवारों की संख्या? 3 बड़े कारण

उम्मीदवारों की संख्या में 30% की इस बड़ी गिरावट के पीछे कई प्रमुख राजनीतिक और प्रशासनिक कारण हैं:

1. मुकाबले का दो-ध्रुवीय होना

इस बार का चुनाव स्पष्ट रूप से दो बड़े गठबंधनों – एनडीए (NDA) और महागठबंधन – के बीच केंद्रित हो गया है। 2020 में चिराग पासवान की लोजपा और उपेंद्र कुशवाहा की रालोसपा ने अलग लड़कर मुकाबले को कई सीटों पर त्रिकोणीय बना दिया था, जिससे छोटे दलों और निर्दलीयों को भी मौका मिला था। इस बार, ये सभी दल किसी न किसी बड़े गठबंधन का हिस्सा हैं, जिससे तीसरे मोर्चे की गुंजाइश लगभग खत्म हो गई है।

2. ‘वोट कटवा’ उम्मीदवारों में कमी

पिछले चुनावों में, बड़ी संख्या में निर्दलीय और छोटी पार्टियां सिर्फ ‘वोट कटवा’ की भूमिका निभाने के लिए चुनाव लड़ती थीं। लेकिन इस बार, मतदाताओं का ध्रुवीकरण दो प्रमुख गठबंधनों की ओर दिख रहा है। ऐसे में, गैर-गंभीर उम्मीदवारों के लिए चुनाव लड़ना और अपना प्रभाव छोड़ना मुश्किल हो गया है, जिससे उनकी संख्या में भारी कमी आई है।

3. नामांकन नियमों में सख्ती

चुनाव आयोग द्वारा नामांकन प्रक्रिया में की गई सख्ती भी इसका एक बड़ा कारण है। शपथ पत्र (Affidavit) में संपत्ति और आपराधिक रिकॉर्ड की विस्तृत जानकारी देने की अनिवार्यता और जांच प्रक्रिया के सख्त होने से कई गैर-गंभीर उम्मीदवार पहले ही दौड़ से बाहर हो गए हैं।

Bihar Election 2025: इस गिरावट के क्या हैं राजनीतिक मायने?

उम्मीदवारों की संख्या कम होने का सीधा असर चुनावी नतीजों पर पड़ सकता है।

  • सीधी टक्कर: अब ज्यादातर सीटों पर एनडीए और महागठबंधन के बीच सीधी टक्कर होगी। इससे मतदाताओं के सामने स्थिति स्पष्ट होगी और वोटों का बंटवारा कम होगा।
  • बागियों का संकट: हालांकि, महागठबंधन में 8 सीटों पर ‘फ्रेंडली फाइट’ हो रही है, लेकिन कुल मिलाकर दोनों गठबंधनों ने बागियों (Rebels) को काफी हद तक नियंत्रित करने में सफलता पाई है।
  • छोटी पार्टियों की भूमिका सीमित: यह ट्रेंड दिखाता है कि बिहार की राजनीति एक बार फिर दो-ध्रुवीय हो गई है, जिसमें छोटी पार्टियों की भूमिका बड़े गठबंधनों के सहयोगी तक ही सीमित रह गई है।
तुलना बिहार चुनाव 2020 (पहला चरण) बिहार चुनाव 2025 (पहला चरण)
कुल सीटें 121* (तुलनात्मक) 121
कुल उम्मीदवार ~ 1,530 1,071
औसत उम्मीदवार (प्रति सीट) ~ 12.6 ~ 8.8
गिरावट ~ 30%

(नोट: 2020 के पहले चरण में 71 सीटें थीं, लेकिन यहां 2025 की 121 सीटों का 2020 के उन्हीं सीटों के आंकड़ों से तुलनात्मक विश्लेषण किया गया है।)

अब जब पहले चरण के सभी Bihar Election 2025 की सूची फाइनल हो गई है, तो दोनों गठबंधनों ने अपना चुनाव प्रचार और तेज कर दिया है, ताकि 6 नवंबर के मतदान से पहले मतदाताओं को अपने पक्ष में किया जा सके।

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