Bihar News: तरारी एसटीपी प्लांट का निर्माण शुरू, मंदिर-कब्रिस्तान की जमीन पर बनी सहमति
44.56 करोड़ का प्रोजेक्ट नमामि गंगे का हिस्सा; मंदिर-कब्रिस्तान की जमीन पर बनी सहमति।

Bihar News: बिहार के औरंगाबाद जिले में एक बड़ी खुशखबरी है। तरारी एसटीपी प्लांट का निर्माण आखिरकार शुरू हो गया है। यह प्लांट गंगा नदी को साफ रखने के लिए नमामि गंगे योजना का हिस्सा है। मंगलवार को भारी सुरक्षा के बीच पेड़ काटने का काम शुरू हुआ। साइट पर पहले 120 पेड़ थे, जिनमें से 57 काटने हैं। अभी तक 15 पेड़ काटे जा चुके हैं। ये पेड़ औरंगाबाद के वन विभाग के पास भेज दिए गए हैं। पहले ग्रामीणों ने जगह को लेकर विरोध किया था, लेकिन प्रशासन की मेहनत से सब सुलझ गया। अब प्लांट से निकला साफ पानी नहर में छोड़ा जाएगा। यह प्रोजेक्ट 44 करोड़ 56 लाख रुपये का है। छोटे गांवों के लोग जो नदी के किनारे रहते हैं, वे इससे फायदा लेंगे। गंदा पानी साफ होने से बीमारियां कम होंगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 अगस्त 2025 को गया में इसका शिलान्यास किया था।
तरारी एसटीपी प्लांट कहां बन रहा: लोकेशन और सुरक्षा की पूरी डिटेल
तरारी एसटीपी प्लांट दाउदनगर ब्लॉक के तरारी गांव में बन रहा है। यह एक एकड़ जमीन पर होगा। यहां एडमिन बिल्डिंग, कचरा स्टोर, शुद्धिकरण यूनिट और दूसरी सुविधाएं होंगी। निर्माण का काम बुद्धको यानी बिहार अर्बन डेवलपमेंट एंड बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉर्पोरेशन कर रही है। जूनियर इंजीनियर उज्जल कुमार साइट पर मौजूद हैं। नगर परिषद के एक्जीक्यूटिव ऑफिसर ऋषिकेश अवस्थी ने भी दौरा किया। सुरक्षा के लिए दाउदनगर थाने के एसआई अशरफीलाल पासवान के नेतृत्व में बड़ी संख्या में पुलिस तैनात है। वन रक्षक सुश्मा कुमारी ने पेड़ काटने की निगरानी की। यह प्लांट नमामि गंगे के तहत गंगा को प्रदूषण मुक्त बनाने का बड़ा कदम है। ग्रामीणों की चिंता थी कि प्लांट से गंदगी फैलेगी, लेकिन अब सब आश्वस्त हैं।
निर्माण में क्या-क्या होगा: लागत और सुविधाओं की जानकारी
यह एसटीपी प्लांट 44 करोड़ 56 लाख रुपये में बनेगा। इसमें ईएंडडी प्लांट भी शामिल है। साफ पानी नहर में डालने से आसपास की खेती को फायदा होगा। साइट पर 120 पेड़ थे, लेकिन 57 काटने पड़े। बाकी 63 पेड़ दोबारा लगाए जाएंगे। यह पर्यावरण का ख्याल रखते हुए हो रहा है। जूनियर इंजीनियर ने कहा कि काम तेजी से चलेगा। प्लांट बनने से तरारी और आसपास के गांव साफ-सुथरे रहेंगे। छोटे किसान जो नहर का पानी इस्तेमाल करते हैं, वे खुश होंगे। यह प्रोजेक्ट बिहार सरकार की सफाई मुहिम का हिस्सा है।
मंदिर और कब्रिस्तान की जमीन पर सहमति: कैसे सुलझा विवाद?
पहले ग्रामीणों ने विरोध किया था। वजह थी गोरैया बाबा मंदिर और कब्रिस्तान के पास प्लांट बनना। लेकिन सर्कल ऑफिसर शैलेंद्र कुमार यादव ने ग्रामीणों से बातचीत की। आखिरकार सहमति बनी। मंदिर से 12 फीट और कब्रिस्तान की दीवार से 15 फीट जगह छोड़ने का फैसला हुआ। इससे विवाद खत्म हो गया। सीओ शैलेंद्र कुमार यादव ने कहा, “ग्रामीणों के साथ वार्ता के बाद मामले को सुलझा लिया गया है।” यह समझौता धार्मिक भावनाओं का सम्मान करता है। अब निर्माण बिना रुकावट चलेगा। ग्रामीणों का कहना है कि वे विकास चाहते हैं, लेकिन अपनी आस्था सुरक्षित रखना भी जरूरी है। यह उदाहरण दूसरे प्रोजेक्ट्स के लिए अच्छा है।
नमामि गंगे योजना का महत्व: बिहार में आगे क्या प्लान
नमामि गंगे योजना गंगा को साफ करने की केंद्र सरकार की बड़ी योजना है। बिहार में कई जगह ऐसे प्लांट बन रहे हैं। तरारी एसटीपी से प्रदूषण कम होगा। भविष्य में औरंगाबाद जिले में पानी की गुणवत्ता बेहतर होगी। ग्रामीणों को रोजगार भी मिलेगा। प्रधानमंत्री मोदी का शिलान्यास इसकी अहमियत बताता है। अगर सब कुछ ठीक रहा, तो प्लांट जल्द पूरा हो जाएगा। बिहार के मेहनती लोग चाहते हैं कि नदी साफ रहे। यह खबर पूरे जिले के लिए सकारात्मक है।



