
Bihar SIR: बिहार में चुनाव से पहले वोटर लिस्ट को साफ करने की कोशिश पर बड़ा विवाद हो गया है। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई चल रही है। कई राजनीतिक पार्टियां चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ हैं। यह खबर 8 सितंबर 2025 को सुर्खियों में है। चुनाव आयोग ने 30 सितंबर 2025 तक आखिरी वोटर लिस्ट बनाने का प्लान बनाया है। इससे बिहार की राजनीति में तनाव बढ़ गया है।
SIR का मतलब क्या है और विवाद क्यों?
चुनाव आयोग ने बिहार में विशेष जांच (SIR) शुरू की है। इसमें वोटर लिस्ट को ठीक करने के लिए दस्तावेज मांगे जा रहे हैं। लगभग 65 लाख से ज्यादा लोगों से कागजात जमा करने को कहा गया है। विपक्षी पार्टियां जैसे RJD और कांग्रेस कह रही हैं कि यह फैसला बिना सोचे-समझे लिया गया। उनका मानना है कि इससे गरीब, कम पढ़े-लिखे और गांव के लोग मुश्किल में पड़ जाएंगे। वे सुप्रीम कोर्ट गए हैं और इस प्रक्रिया को रुकवाने की मांग कर रहे हैं।
यह समस्या क्यों और कब सामने आई?
2025 में बिहार विधानसभा चुनाव होने हैं। SIR की शुरुआत चुनाव से पहले हुई, ताकि फर्जी वोटरों को हटाया जाए। लेकिन विपक्ष का कहना है कि चुनाव आयोग ने कोई सही वजह या सर्वे के बिना यह शुरू किया। यह मुद्दा 8 सितंबर 2025 को तब गर्माया, जब RJD ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की। RTI से पता चला कि SIR के लिए कोई अलग से जांच नहीं की गई। इससे वोटर लिस्ट पर शक पैदा हो गया है और राजनीतिक पार्टियां आरोप लगा रही हैं।
असर कहां पड़ेगा, कैसे हल होगा और कौन हैं शामिल?
यह मामला बिहार के 243 विधानसभा सीटों पर प्रभाव डालेगा। सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के बाद 30 सितंबर 2025 को अंतिम वोटर लिस्ट आएगी। कोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछा है कि SIR का फैसला कैसे लिया गया। अगर कोर्ट फैसला देगा, तो प्रक्रिया रुक सकती है या जारी रहेगी। इसमें RJD, कांग्रेस, चुनाव आयोग और सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश मुख्य रूप से शामिल हैं। अगर आप बिहार के वोटर हैं, तो अपनी आईडी चेक करें।