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Bihar Chunav 2025: जदयू सांसद गिरधारी यादव को कारण बताओ नोटिस, 15 दिन में जवाब मांगा गया

गिरधारी यादव ने SIR को तुगलकी फरमान बताया, जदयू ने अनुशासनहीनता का आरोप लगाकर नोटिस जारी किया, यादव बोले- सच बोलना मेरा काम।

Bihar Chunav 2025: बिहार की सत्तारूढ़ जनता दल यूनाइटेड (जदयू) ने अपने बांका सांसद गिरधारी यादव को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। यह नोटिस विशेष मतदाता सूची पुनरीक्षण (एसआईआर) और चुनाव आयोग पर उनकी टिप्पणियों के कारण दिया गया है। पार्टी ने उनके बयानों को अनुशासनहीनता माना है और 15 दिन में जवाब देने को कहा है। अगर जवाब नहीं मिला, तो उनके खिलाफ कार्रवाई हो सकती है।

जानें क्या है पूरा मामला?

गिरधारी यादव ने बुधवार को संसद के बाहर मीडिया से बातचीत में चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए। उन्होंने बिहार में चल रहे विशेष मतदाता सूची पुनरीक्षण को “तुगलकी फरमान” बताया और कहा कि चुनाव आयोग को बिहार की भौगोलिक और सामाजिक स्थिति की जानकारी नहीं है। यादव ने कहा, “मुझे अपने दस्तावेज जुटाने में 10 दिन लगे। मेरा बेटा अमेरिका में रहता है, वह एक महीने में यह कैसे करेगा?” उन्होंने यह भी कहा कि यह काम बारिश और खेती के मौसम में नहीं, बल्कि छह महीने पहले करना चाहिए था।

जदयू ने क्यों जताई नाराजगी?

जदयू ने अपने राष्ट्रीय महासचिव अफाक अहमद खान के हस्ताक्षर से नोटिस जारी किया। नोटिस में कहा गया कि यादव के बयान पार्टी की आधिकारिक नीति के खिलाफ हैं। जदयू हमेशा से चुनाव आयोग और इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) का समर्थन करती रही है, चाहे वह पहले इंडिया गठबंधन में थी या अब एनडीए में। पार्टी ने कहा कि यादव के बयानों से विपक्ष के “बेबुनियाद” आरोपों को बल मिलता है, जो चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर सवाल उठा रहे हैं। यह बयान चुनावी साल में पार्टी के लिए शर्मिंदगी का कारण बना है।

गिरधारी यादव ने दिया जवाब

यादव ने नोटिस के जवाब में कहा कि वह अपने बयानों पर कायम हैं। उन्होंने कहा, “मैंने अपने क्षेत्र के लोगों की समस्याएं उठाईं। एक सांसद के रूप में मेरा काम सच बोलना है। मैं नोटिस का जवाब दूंगा।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह उनका निजी विचार है, न कि पार्टी का।

Bihar Chunav 2025: बिहार में क्यों हो रहा है मतदाता सूची पुनरीक्षण?

चुनाव आयोग ने बिहार में 7.89 करोड़ मतदाताओं की सूची को अपडेट करने के लिए विशेष पुनरीक्षण शुरू किया है। इसके तहत मृत, प्रवासी, या दोहरे पंजीकरण वाले मतदाताओं के नाम हटाए जा रहे हैं। आयोग का कहना है कि यह संवैधानिक प्रक्रिया है, लेकिन विपक्ष और अब जदयू के कुछ नेता इसकी समयसीमा और प्रक्रिया पर सवाल उठा रहे हैं।

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