Bihar News: गंडक नदी के कहर से बेघर हुए ग्रामीण, नया ठिकाना तलाशने को मजबूर!
पश्चिम चंपारण के नरहवा गांव में गंडक नदी का कटाव, घर और हजारों एकड़ खेती नदी में समाई।

Bihar News: बिहार के पश्चिम चंपारण जिले में गंडक नदी ने फिर से अपना रौद्र रूप दिखाया है। नरहवा गांव में नदी के तेज कटाव से कई परिवारों के घर डूब गए। अब ये लोग नए घर बनाने के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं। लगभग तीन दर्जन लोग प्रभावित हुए हैं, जिनमें महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग शामिल हैं। नदी ने न सिर्फ घर निगल लिए, बल्कि हजारों एकड़ खेती की जमीन भी तबाह कर दी। ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन ने अभी तक कोई ठोस मदद नहीं की।
गंडक नदी का कटाव: गांव का घर-बार उजड़ा
पश्चिम चंपारण के बगहा अनुमंडल के मधुबनी प्रखंड के सिसई पंचायत के घोरधवा स्थित नरहवा गांव में गंडक नदी ने भारी तबाही मचाई है। नदी का पानी तेज बहाव के साथ किनारों को काट रहा है, जिससे गांव के कई हिस्से डूब गए। घरों के साथ-साथ खेत भी नदी में समा गए। प्रभावित परिवारों में सत्येंद्र यादव, पहवारी गोड, केदार यादव, मुमताज मिया, मैनेजर यादव, संतोष यादव, राधेश्याम यादव, रुकमिनिया देवी और साफी मिया जैसे लोग शामिल हैं। ये परिवार अब बेघर हो चुके हैं। नदी के कटाव से करीब 3,000 एकड़ जमीन और फसलें नष्ट हो गईं। ग्रामीणों को न सिर्फ छत खोनी पड़ी, बल्कि उनकी आजीविका भी छिन गई।
प्रभावित ग्रामीणों की परेशानियां
बेघर हुए लोग भारी मुश्किलों से जूझ रहे हैं। कुछ परिवार पड़ोसी चौराही पंचायत में शरण ले रहे हैं, तो कुछ गन्ने के खेतों में अस्थायी झोपड़ियां बना रहे हैं। लेकिन बारिश और नदी के बढ़ते जलस्तर से खतरा बना हुआ है। ग्रामीणों को नया स्थान ढूंढना मुश्किल हो रहा है। वे कहते हैं कि जमीन के बिना और घर के बिना अब पलायन ही एकमात्र रास्ता बचा है। महिलाओं और बच्चों की स्थिति सबसे खराब है, जो खुले आसमान तले रातें गुजार रहे हैं।
प्रशासन की क्या व्यवस्था?
प्रशासन ने प्रभावितों को आश्वासन दिया है। आंचल अधिकारी नंदलाल राम ने कहा कि जिनके घर नदी में बह गए, उनके लिए जल्द पुनर्वास की व्यवस्था की जाएगी। अस्थायी रूप से रह रहे लोगों को भी सुरक्षित जगह दी जाएगी। बाढ़ नियंत्रण विभाग के सहायक इंजीनियर विकास कुमार ने बताया कि नरहवा में कटाव रोकने के काम चल रहे हैं। अब नीचे की दिशा में प्रयास हो रहे हैं ताकि नदी का बहाव काबू में आए। लेकिन ग्रामीणों का आरोप है कि ये वादे पुराने हैं और अभी तक जमीन पर कोई काम नहीं हुआ। विभाग ने कहा कि मानसून खत्म होने के बाद बड़े स्तर पर काम शुरू होगा।