Bihar Chunav 2025: बिहार में 70,000 करोड़ कहां खर्च हुए? CAG रिपोर्ट में बड़ा खुलासा, सरकार के पास नहीं उपयोगिता प्रमाण पत्र
CAG की रिपोर्ट में बिहार की नीतीश सरकार पर 70,000 करोड़ के यूसी न जमा करने का आरोप, 14.47% विकास दर के बावजूद बजट खर्च और देनदारी ने बढ़ाई चिंता।

Bihar Chunav 2025: बिहार की नीतीश सरकार एक बार फिर सवालों के घेरे में है। नियंत्रक व महालेखा परीक्षक (CAG) की ताजा रिपोर्ट ने राज्य में 70,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के खर्च पर सवाल उठाए हैं। सरकार इस राशि के उपयोगिता प्रमाण पत्र (यूसी) देने में नाकाम रही है। इस खुलासे से बिहार की सियासत में हड़कंप मच गया है।
Bihar Chunav 2025: आर्थिक वृद्धि दर राष्ट्रीय औसत से अधिक
सीएजी की रिपोर्ट के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2023-24 में बिहार ने 14.47% की विकास दर हासिल की, जो राष्ट्रीय औसत से 4.87% अधिक है।पिछले वित्तीय वर्ष 2022-23 में यह दर 15.30% थी। राज्य की अर्थव्यवस्था में सेवा क्षेत्र (तृतीयक क्षेत्र) का योगदान 57.06% रहा, जो सबसे प्रमुख था। प्राथमिक क्षेत्र (कृषि, पशुधन, और मत्स्य पालन) ने 24.23% और द्वितीयक क्षेत्र (निर्माण तथा आधारभूत ढांचा) ने 18.16% का योगदान दिया। इसके बावजूद, बिहार की विकास गति के साथ-साथ उसकी वित्तीय देनदारियां भी बढ़ी हैं। वित्तीय वर्ष 2023-24 में राज्य की कुल देनदारी 3,98,560.98 करोड़ रुपये रही, जो पिछले वर्ष की तुलना में 12.34% अधिक है। फिर भी, यह देनदारी 15वें वित्त आयोग द्वारा निर्धारित सीमा के अंतर्गत रही।
बजट खर्च में सरकार रही ढीली
रिपोर्ट में बताया गया कि 2023-24 में बिहार का कुल बजट 3,26,230.12 करोड़ रुपये था, लेकिन सरकार केवल 79.92% यानी 2,60,718.07 करोड़ रुपये ही खर्च कर पाई। बाकी 65,512.05 करोड़ रुपये बच गए, लेकिन सरकार ने सिर्फ 23,875.55 करोड़ रुपये ही वापस किए। यानी बचत का केवल 36.44% हिस्सा ही प्रत्यर्पित हुआ।
उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं दे पाई सरकार
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि 31 मार्च 2024 तक सरकार 70,877.61 करोड़ रुपये के उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा नहीं कर पाई। इसके अलावा 9,205.76 करोड़ रुपये के आकस्मिक विपत्र (डीसी बिल) भी नहीं दिए गए, जिसमें 7,120.02 करोड़ रुपये 2022-23 से बकाया हैं। बार-बार रिमाइंडर के बावजूद सरकार ने ये दस्तावेज जमा नहीं किए।
राजस्व में बढ़ोतरी, लेकिन चिंता बरकरार
रिपोर्ट में कुछ सकारात्मक बातें भी हैं। 2023-24 में बिहार के राजस्व में 11.96% की बढ़ोतरी हुई, जो कुल 20,659 करोड़ रुपये की वृद्धि है। स्व-कर राजस्व में 9.87% और गैर-कर राजस्व में 25.14% की बढ़ोतरी हुई। लेकिन बढ़ते प्रतिबद्ध व्यय (वेतन, पेंशन, ब्याज भुगतान) ने चिंता बढ़ाई है, जो 2019-20 के 48,477.72 करोड़ से बढ़कर 2023-24 में 70,282.32 करोड़ रुपये हो गया।