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Bihar Election 2025: तेजस्वी यादव पर बीजेपी का हमला, शाहबुद्दीन जिंदाबाद के नारों से बिहार में बवाल

मुहर्रम हिंसा, तेजस्वी पर बीजेपी का गुंडाराज का आरोप, शाहबुद्दीन जिंदाबाद के नारों से बिहार में बवाल

Bihar Election 2025: बिहार में हाल ही में मुहर्रम के जुलूस के दौरान हुई हिंसा ने सियासी तूफान खड़ा कर दिया है। बीजेपी ने राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेता तेजस्वी यादव पर निशाना साधते हुए उन पर गुंडाराज को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है। बीजेपी का दावा है कि तेजस्वी ने एक मंच से कुख्यात अपराधी शाहबुद्दीन के समर्थन में “शाहबुद्दीन जिंदाबाद” के नारे लगवाए, जिसके बाद हिंसा भड़क उठी। मोतिहारी में इस हिंसा के दौरान अजय यादव नामक व्यक्ति की हत्या ने मामले को और गंभीर बना दिया है।

Bihar Election 2025: क्या है पूरा मामला?

हाल ही में तेजस्वी यादव एक सार्वजनिक सभा में शामिल हुए, जहां उनके समर्थकों ने “शाहबुद्दीन जिंदाबाद” के नारे लगाए। बीजेपी ने इसे तुष्टिकरण की राजनीति का हिस्सा बताया और कहा कि यह नारा गुंडाराज को बढ़ावा देने की मानसिकता को दर्शाता है। बीजेपी नेता अमित मालवीय ने एक ट्वीट में दावा किया कि इन नारों के बाद मुहर्रम के जुलूस में अराजक तत्वों ने हिंदू समुदाय पर हमला किया, जिसमें अजय यादव की जान चली गई। बीजेपी ने इसे बिहार में कानून-व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति का सबूत बताया।

तेजस्वी का जवाब और सियासी घमासान

तेजस्वी यादव ने इन आरोपों का जवाब देते हुए बीजेपी पर सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी शांति और भाईचारे की पक्षधर है और बीजेपी बेवजह मामले को तूल दे रही है। हालांकि, बीजेपी ने तेजस्वी के इस बयान को खारिज करते हुए कहा कि शाहबुद्दीन जैसे अपराधी का महिमामंडन बिहार की जनता को स्वीकार नहीं है।

जनता में गुस्सा, बीजेपी की मांग

मोतिहारी की घटना के बाद स्थानीय लोगों में गुस्सा है। अजय यादव की हत्या ने पूरे इलाके में तनाव पैदा कर दिया है। बीजेपी ने इस मामले में कड़ी कार्रवाई की मांग की है और तेजस्वी से सार्वजनिक माफी की मांग की है। पार्टी ने बिहार सरकार से हिंसा की जांच के लिए विशेष समिति बनाने की भी मांग की है।

बिहार की सियासत में नया मोड़

यह विवाद बिहार की सियासत को और गर्मा सकता है। मुहर्रम की हिंसा और शाहबुद्दीन के नारे अब चुनावी मुद्दा बन सकते हैं। बीजेपी इसे कानून-व्यवस्था और तुष्टिकरण के खिलाफ अपनी लड़ाई का हिस्सा बना रही है, जबकि आरजेडी इसे सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की कोशिश बता रही है। जनता इस मुद्दे पर बंटी हुई है, और आने वाले दिनों में इसकी गूंज और तेज होने की संभावना है।

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