Bihar News: बिहार में बीजेपी से छिटक रहे सवर्ण वोट को लुभाने का प्रयास जारी, ललित मिश्र हत्याकांड की जांच हुई तेज
बिहार में सवर्ण वोटरों को लुभाने के लिए बीजेपी का सवर्ण आयोग और मिश्र हत्याकांड जांच

Bihar News: बिहार में विधानसभा चुनाव 2025 से पहले सियासी हलचल तेज हो गई है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को डर है कि सवर्ण वोटर, खासकर ब्राह्मण, उनका साथ छोड़ सकते हैं। इस चिंता को दूर करने के लिए बिहार सरकार ने सवर्ण आयोग बनाने का फैसला किया है। साथ ही, बीजेपी के एक बड़े नेता ने 50 साल पुराने ललित नारायण मिश्र हत्याकांड की जांच की मांग उठाकर सवर्णों, खासकर मिथिलांचल के ब्राह्मणों को लुभाने की कोशिश की है। यह खबर बिहार की सियासत में बड़ा मुद्दा बन रही है।
सवर्ण आयोग क्यों बना?
बिहार सरकार ने सवर्णों की समस्याओं को समझने और उनके हितों की रक्षा के लिए सवर्ण आयोग बनाने का ऐलान किया। इसका मकसद सवर्ण वोटरों को यह भरोसा देना है कि बीजेपी उनकी चिंताओं को गंभीरता से ले रही है। मिथिलांचल में ब्राह्मणों की बड़ी आबादी है, और बीजेपी को लगता है कि यह कदम उन्हें फिर से जोड़ सकता है। लेकिन कुछ लोग इसे सिर्फ चुनावी रणनीति मान रहे हैं।
ललित नारायण मिश्र हत्याकांड का मुद्दा
ललित नारायण मिश्र की हत्या 1975 में समस्तीपुर में एक बम धमाके में हुई थी। इस मामले को फिर से उठाकर बीजेपी ब्राह्मण वोटरों को अपनी ओर खींचना चाहती है। मिश्र परिवार की सक्रियता और कोर्ट में चल रही सुनवाई ने इस मुद्दे को और हवा दी है। यह मामला 2025 के चुनाव में सवर्ण वोटरों को प्रभावित कर सकता है, क्योंकि बीजेपी इसे न्याय और सवर्ण हितों से जोड़ रही है।
कांग्रेस की सवर्ण रणनीति
कांग्रेस भी सवर्ण वोटरों को लुभाने में पीछे नहीं है। मिथिलांचल में ब्राह्मण नेता मदन मोहन झा को आगे लाकर और राहुल गांधी की यात्राओं, जैसे 18 जनवरी को संविधान सुरक्षा सम्मेलन और 5 फरवरी को जगलाल चौधरी जयंती, के जरिए कांग्रेस सवर्णों को अपनी ओर खींच रही है। यह बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती है।
बिहार की सियासत पर असर
बिहार में सवर्ण वोटरों की भूमिका हमेशा अहम रही है। बीजेपी को डर है कि अगर सवर्ण वोट छिटक गए, तो उनकी जीत मुश्किल हो सकती है। आरजेडी और कांग्रेस इस मौके का फायदा उठाने की कोशिश में हैं। बीजेपी का सवर्ण आयोग और मिश्र हत्याकांड की जांच की मांग सियासी रणनीति का हिस्सा है, लेकिन इसका असर कितना होगा, यह चुनाव में ही पता चलेगा।