दलित नाबालिग रेप पीड़िता को PMCH में इलाज के लिए करना पड़ा 4 घंटे इंतजार, बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल
PMCH में दलित नाबालिग के साथ लापरवाही, स्वास्थ्य व्यवस्था पर उठे गंभीर सवाल

Bihar News: बिहार की राजधानी पटना के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल, पटना मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (PMCH), में एक दलित नाबालिग रेप पीड़िता को इलाज के लिए चार घंटे तक एंबुलेंस में इंतजार करना पड़ा। यह घटना मुजफ्फरपुर से रेफर की गई एक मासूम बच्ची के साथ हुई, जिसने बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था और प्रशासन की संवेदनशीलता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस मामले ने सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं उकसाईं, जहां लोग इसे “डबल इंजन सरकार” की नाकामी बता रहे हैं।
अस्पताल की लापरवाही से मासूम की जिंदगी खतरे में
मुजफ्फरपुर में एक दलित नाबालिग के साथ दुष्कर्म की घटना के बाद उसे तुरंत इलाज के लिए PMCH रेफर किया गया। लेकिन अस्पताल प्रशासन ने कथित तौर पर बच्ची को भर्ती करने से मना कर दिया। चार घंटे तक वह एंबुलेंस में ही तड़पती रही, जीवन और मृत्यु के बीच जूझती हुई। इस दौरान परिजनों की गुहार और मासूम की हालत को देखकर भी अस्पताल प्रशासन ने कोई संवेदनशीलता नहीं दिखाई। यह घटना न केवल पीड़िता के लिए दुखद थी, बल्कि यह बिहार के स्वास्थ्य ढांचे की कमजोरियों को भी उजागर करती है।
कांग्रेस नेताओं का हस्तक्षेप, फिर भी नहीं मिला न्याय
जब यह मामला बिहार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश कुमार राम तक पहुंचा, तो उन्होंने तुरंत PMCH का दौरा किया। उनके हस्तक्षेप के बाद भी बच्ची को तत्काल भर्ती नहीं किया गया, जिससे यह सवाल उठता है कि क्या आम आदमी के लिए बिहार में स्वास्थ्य सुविधाएं वास्तव में सुलभ हैं? सोशल मीडिया पर इस घटना को लेकर लोगों ने गुस्सा जाहिर किया और सरकार से जवाबदेही की मांग की।
बिहार में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली
यह पहली बार नहीं है जब PMCH जैसे बड़े अस्पताल पर लापरवाही का आरोप लगा हो। पहले भी कई बार मरीजों को समय पर इलाज न मिलने की शिकायतें सामने आ चुकी हैं। इस घटना ने एक बार फिर साबित किया कि बिहार में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति चिंताजनक है। खासकर दलित और गरीब वर्ग के लिए, जहां न्याय और इलाज दोनों ही मुश्किल से मिलते हैं।
सोशल मीडिया पर मचा बवाल
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म सोशल मीडिया पर इस घटना ने तूल पकड़ा, जहां लोगों ने इसे बिहार सरकार की विफलता का प्रतीक बताया। कई यूजर्स ने इसे “दलित उत्पीड़न” का मामला करार देते हुए सरकार और अस्पताल प्रशासन की कड़ी आलोचना की। यह घटना न केवल स्वास्थ्य सेवाओं की कमी को दर्शाती है, बल्कि सामाजिक भेदभाव और संवेदनहीनता के मुद्दों को भी सामने लाती है।
क्या है समाधान?
इस घटना ने बिहार सरकार के सामने कई सवाल खड़े किए हैं। स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार, अस्पतालों में संवेदनशीलता, और पीड़ितों के लिए त्वरित कार्रवाई की जरूरत है। सरकार को चाहिए कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए ठोस कदम उठाए और दोषियों पर सख्त कार्रवाई करे।