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Tej Pratap Yadav: तेज प्रताप ने सोशल मीडिया पर लिखा भावुक संदेश, RJD से निकाले जाने के बाद दी पहली प्रतिक्रिया

भावनाओं की चिट्ठी से सियासी भूचाल तक, तेज प्रताप यादव की बगावत और बिहार की राजनीति में हलचल

Tej Pratap Yadav: बिहार की सियासत में हलचल मचाने वाले तेज प्रताप यादव ने RJD से निष्कासन के बाद अपने माता-पिता को भावुक संदेश लिखा। तेज प्रताप ने लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी को अपनी पूरी दुनिया बताते हुए उनकी भक्ति जताई। यह संदेश 25 मई को पार्टी से 6 साल के लिए निकाले जाने के बाद आया, जब उनके फेसबुक पोस्ट ने विवाद खड़ा किया। आइए, इस सियासी ड्रामे की प्रमुख बातें जानें।

मम्मी-पापा के लिए भावुक पत्र

तेज प्रताप ने लिखा, “मेरे प्यारे मम्मी-पापा, मेरी दुनिया आप में बस्ती है। आपका आदेश मेरे लिए ईश्वर से बड़ा है। मुझे सिर्फ आपका प्यार और भरोसा चाहिए।” उन्होंने लालू को पार्टी का आधार बताया और कुछ लोगों को ‘जयचंद’ कहकर निशाना साधा। यह पत्र उनकी माता-पिता के प्रति निष्ठा और सियासी बगावत का संकेत देता है।

Tej Pratap Yadav: RJD से क्यों हुआ निष्कासन

25 मई को तेज प्रताप के फेसबुक पर एक पोस्ट ने तूफान मचा दिया, जिसमें उन्होंने अनुष्का यादव के साथ 12 साल के रिश्ते का जिक्र किया। बाद में उन्होंने दावा किया कि उनका अकाउंट हैक हुआ था। लालू प्रसाद ने इसे “गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार” बताते हुए उन्हें पार्टी और परिवार से 6 साल के लिए बाहर कर दिया। लालू ने कहा कि नैतिक मूल्यों की अनदेखी उनकी लड़ाई को कमजोर करती है।

लालू परिवार में बढ़ा तनाव

तेज प्रताप का यह कदम उनकी निजी जिंदगी और सियासी करियर में नए विवाद को जन्म दे रहा है। उनकी पत्नी ऐश्वर्या राय ने निष्कासन को नाटक बताया और परिवार पर सवाल उठाए। ऐश्वर्या ने कहा कि उन्हें पहले परेशान किया गया, तब कोई नहीं बोला। तेज प्रताप का तलाक का केस भी कोर्ट में चल रहा है, जो इस विवाद को और गहरा रहा है।

बिहार चुनाव पर असर

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले यह सियासी ड्रामा RJD के लिए मुश्किल खड़ा कर सकता है। तेज प्रताप ने भले ही माता-पिता के प्रति वफादारी दिखाई, लेकिन पार्टी में उनकी भूमिका खत्म हो गई है। कुछ लोग इसे लालू की सख्ती मान रहे हैं, तो कुछ इसे चुनावी रणनीति। तेजस्वी यादव ने भी इस फैसले का समर्थन किया है।

Tej Pratap Yadav का अगला कदम

तेज प्रताप ने अपने भतीजे के जन्म पर तेजस्वी को बधाई दी, जिससे परिवार में सुलह की उम्मीद जगी। लेकिन उनकी सियासी राह अब मुश्किल है। क्या वे नई पार्टी बनाएंगे या चुप रहेंगे? यह बिहार की सियासत में बड़ा सवाल है।

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