झूठी कसम खाने से पुण्य नष्ट हो जाता है? प्रेमानंद महाराज ने दिया यह जवाब
प्रेमानंद महाराज ने दी चेतावनी, कहा कि झूठी कसम या जल्दबाजी में लिया संकल्प टूटने से पुण्य नष्ट हो जाता
Premanand Maharaj Pravachan: वृंदावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज ने एक प्रवचन में बात-बात पर कसम खाने वालों के लिए चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि झूठी कसम या जल्दबाजी में लिया संकल्प टूटने से पुण्य नष्ट हो जाता है। एक श्रद्धालु के सवाल पर महाराज ने समझाया कि कसम लेने से पहले सोच-समझकर लें, अन्यथा हृदय गलेगा, अवनति होगी और निंदा झेलनी पड़ेगी। यह प्रवचन रोजमर्रा की जिंदगी से जुड़े सवालों का समाधान देता है। प्रेमानंद महाराज ने कसम खाने का सही तरीका भी बताया। यह कथा उन लोगों के लिए उपयोगी है जो भक्ति में सच्चाई चाहते हैं।
Premanand Maharaj Pravachan: झूठी कसम के नुकसान
प्रवचन के दौरान एक शख्स ने पूछा कि बात-बात पर कसम खाने वाले झूठ बोलते हैं तो उनका पुण्य नष्ट हो जाता है? प्रेमानंद महाराज ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “जो लोग कसम खाते हैं और फिर तोड़ देते हैं, संकल्प लेते हैं और छोड़ देते हैं, उनके पुण्य नष्ट हो जाते हैं। हृदय गलेगा, अवनति होगी, उपहास होगा और निंदा होने लगेगी। ऐसे आचरण बन जाएंगे। जैसे आप कोई नशा कर रहे हैं। कोई गलत आचरण आपमें है तो कसम मत खाओ। नियम बनाओ कि मैं आजसे नहीं करूंगा। कोशिश करूंगा। महीना दो महीना कोशिश करो कि मैं ये नहीं करूंगा। हार जाओ फिर कोशिश करो।”
महाराज ने कहा कि पहले कसम लेने से टूटने पर अपराध लगता है और पुण्य नहीं मिलता। परेशानियां आती हैं। इसलिए जल्दी कसम नहीं खानी चाहिए। संकल्प नहीं करना चाहिए।
कसम लेने का सही तरीका
प्रेमानंद महाराज ने आगे समझाया, “कसम तब लेनी चाहिए जब दो-चार महीने वो काम न करें। फिर देखकर करो कि दो-चार महीने से मैं ऐसा नहीं कर रहा हूं तो अब मैं कसम लेता हूं। पहले कसम लेने से फिर टूट जाता है। टूटने पर फिर अपराध लगता है और पुण्य नहीं मिलता है। इसलिए जल्दी कसम नहीं खानी चाहिए। संकल्प नहीं करना चाहिए।”
यह सलाह भक्तों को सच्ची भक्ति का पाठ पढ़ाती है। महाराज ने कहा कि भगवान को ठाकुर, प्रभु, स्वामी, प्रितम या यार मानकर पूजे, तभी काम बनता है।
प्रेमानंद महाराज के अन्य प्रवचन: भगवान से मांगने का सही तरीका
प्रवचन के दौरान एक महिला ने पूछा कि भगवान से मांगी चीज क्यों नहीं मिलती? प्रेमानंद महाराज ने कहा, “आजकल के लोगों को भगवान से ठीक से मांगना भी नहीं आता। अगर भगवान को पैसा या मिठाई चढ़ाने की बात करके कुछ मांगो तो कुछ नहीं मिलेगा। उन्हें अपना दोस्त समझो और पूरे हक के साथ अपनी बात रखो। भगवान सुनते हैं, लेकिन हमारा भाव साफ होना चाहिए। प्रेम से मांगो, तो मिलेगा।”
महाराज ने कहा कि संपूर्ण सृष्टि भगवान का बच्चा है। वे सबको दे रहे हैं, लेकिन हमारा मन अशुद्ध होता है। इसलिए तपस्या, भजन और प्रेम से भगवान को पुकारो।
भक्ति का महत्व: तपस्या ही कामना पूरी करेगी
प्रेमानंद महाराज ने उदाहरण दिया, “भगवान की दुकान में सबका जीवन खाता है। दुकान से वस्तु लेने के दो अधिकार होते हैं। पहला, आपके पास रूपया होना चाहिए। दूसरा, अगर आप घरवाले हैं तो बिना तौल के सामान मिल जाता। तो आप कौन हो? ना तो आपके पास तपस्या रूपी धन है, ना आप हरि के घरवाले बने। फिर कामना कैसे पूरी हो? महाराज ने चेतावनी दी कि ऐसे में भगवान को कोसना बंद करो। सच्ची भक्ति से वे प्रसन्न होते हैं।
प्रेमानंद महाराज की सलाह: रोज भक्ति में भाव डालें
प्रवचन में महाराज ने भक्तों को सलाह दी कि रोज भजन करें, तपस्या करें और भगवान को यार मानें। उन्होंने कहा, “भगवान सुनते हैं, लेकिन भाव साफ हो। प्रेम से मांगो, तो मिलेगा।” यह प्रवचन वृंदावन के सत्संग में हुआ, जहां सैकड़ों भक्त जुटे थे। भक्तों ने कहा, “महाराज की बातें मन को छू गईं। अब हम भक्ति में भाव डालेंगे।”




