
Mahagathbandhan seat sharing: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण के लिए नामांकन का कल, यानी सोमवार, 20 अक्टूबर, को आखिरी दिन है, लेकिन राज्य के प्रमुख विपक्षी गठबंधन ‘महागठबंधन’ में सीटों के बंटवारे को लेकर ‘महाभारत’ अब भी जारी है। एक तरफ जहां एनडीए (NDA) अपने उम्मीदवारों की सूची जारी कर चुनाव प्रचार में जुट गया है, वहीं महागठबंधन में अब तक यह भी तय नहीं हो पाया है कि कौन सी पार्टी कितनी सीटों पर लड़ेगी। यह गतिरोध अब इस हद तक पहुंच गया है कि गठबंधन टूटने की कगार पर है और कई सीटों पर ‘फ्रेंडली फाइट’ की नौबत आ गई है।
क्यों नहीं बन पा रही बात? RJD-कांग्रेस में टकराव
महागठबंधन में इस संकट की जड़ में सीटों की संख्या को लेकर चल रही खींचतान है, खासकर राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और कांग्रेस के बीच।
- कांग्रेस की मांग: कांग्रेस बिहार में अपनी खोई हुई सियासी जमीन वापस पाने के लिए कम से-कम 55 से 60 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है।
- RJD का रुख: वहीं, आरजेडी, जो खुद को गठबंधन का ‘बड़ा भाई’ मानती है, कांग्रेस को 40-45 सीटों से ज्यादा देने को तैयार नहीं है।
- वाम दलों का दबाव: इस बीच, सीपीआई (माले) जैसी वामपंथी पार्टियां भी अपने बेहतर स्ट्राइक रेट का हवाला देकर ज्यादा सीटों के लिए दबाव बना रही हैं, जिससे तेजस्वी यादव के लिए समीकरण साधना और भी मुश्किल हो गया है।
फ्रेंडली फाइट से किसको होगा फायदा?
बातचीत विफल होने का नतीजा यह हुआ है कि आरजेडी और कांग्रेस, दोनों ने ही कई सीटों पर अपने-अपने सिंबल बांटने शुरू कर दिए हैं। जानकारी के अनुसार, पहले चरण की कम से-कम 8 सीटों पर दोनों पार्टियों के उम्मीदवार आमने-सामने होंगे। इसे भले ही ‘फ्रेंडली फाइट’ का नाम दिया जा रहा हो, लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि वोटों के इस बंटवारे का सीधा और सबसे बड़ा फायदा एनडीए (NDA) के उम्मीदवार को मिलेगा।
एकजुट NDA बनाम बिखरा हुआ महागठबंधन
यह स्थिति एनडीए के लिए एक बड़ी मनोवैज्ञानिक बढ़त है। एनडीए ने न केवल अपना सीट बंटवारे का फॉर्मूला तय कर लिया है, बल्कि उनके स्टार प्रचारक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और योगी आदित्यनाथ की रैलियों का कार्यक्रम भी लगभग तय हो चुका है।
इसके विपरीत, महागठबंधन बिखरा हुआ और अंदरूनी कलह से जूझता नजर आ रहा है। नामांकन का आखिरी दिन सिर पर है, और उम्मीदवारों में घोर असमंजस और बेचैनी का माहौल है। उन्हें यह तक नहीं पता कि उन्हें किस सीट से लड़ना है और उनका मुकाबला दोस्त से है या दुश्मन से।
आज का दिन अहम, क्या आखिरी मौके पर बनेगी बात?
आज रविवार का दिन महागठबंधन के लिए ‘करो या मरो’ जैसा है। अगर आज भी सीटों पर कोई सर्वसम्मति नहीं बनती है, तो यह गठबंधन के लिए एक बड़ी विफलता होगी और इसका सीधा असर चुनाव परिणामों पर पड़ेगा। तेजस्वी यादव और कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व पर आज कोई समाधान निकालने का भारी दबाव है, लेकिन समय तेजी से हाथ से निकलता जा रहा है।