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Hafeez Jalandhari: पाकिस्तान के राष्ट्रगान 'पाक सरजमीन' के रचयिता, भारत के जालंधर में उनका पैतृक घर

पाकिस्तान का राष्ट्रगान 'पाक सरजमीन' किसने लिखा? जानिए भारत के जालंधर में जन्मे हाफिज जालंधरी की कहानी।

Hafeez Jalandhari: पाकिस्तान का राष्ट्रगान ‘पाक सरजमीन’ सुनकर हर कोई मंत्रमुग्ध हो जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसके बोल भारत के जालंधर शहर के एक कवि ने लिखे थे? हाफिज जालंधरी का नाम पाकिस्तानी साहित्य और संगीत में अमर है। वे न सिर्फ राष्ट्रगान के रचयिता थे, बल्कि एक प्रमुख उर्दू कवि भी थे। उनका जन्म भारत के पंजाब प्रांत के जालंधर शहर में हुआ था। छोटे शहरों और गांवों के लोग जो इतिहास और संस्कृति से जुड़ी कहानियां पसंद करते हैं, उनके लिए हाफिज जालंधरी की जिंदगी एक प्रेरणा है। आइए जानते हैं उनके जीवन, योगदान और भारत में उनके घर की पूरी कहानी।

हाफिज जालंधरी का जीवन परिचय

हाफिज जालंधरी का जन्म 14 जनवरी 1900 को जालंधर, ब्रिटिश भारत में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनका पूरा नाम अब्दुल्लाह हाफिज जालंधरी था। वे उर्दू साहित्य के प्रमुख हस्ताक्षर थे और कविता के अलावा पत्रकारिता भी करते थे। 1947 के भारत विभाजन के बाद वे पाकिस्तान चले गए और लाहौर में बस गए। वहां उन्होंने ‘लाहौर’ नामक साप्ताहिक पत्रिका शुरू की। हाफिज साहब ने नेशनल गार्ड में भी काम किया और पाकिस्तान की स्वतंत्रता के लिए आवाज उठाई। उनकी कविताएं देशभक्ति और मानवीय भावनाओं से भरी थीं। वे 1982 में लाहौर में ही चल बसे। पाकिस्तान ने उनके योगदान के लिए उन्हें ‘हिलाल-ए-इम्तियाज’ सम्मान से नवाजा।

पाकिस्तान के राष्ट्रगान ‘पाक सरजमीन’ के रचयिता

हाफिज जालंधरी की सबसे बड़ी पहचान पाकिस्तान का राष्ट्रगान ‘पाक सरजमीन’ है। उन्होंने इसके बोल 1947 में ही लिखे थे, लेकिन यह 13 अगस्त 1954 को पहली बार रेडियो पाकिस्तान पर रिकॉर्ड किया गया। 1955 में इसे आधिकारिक राष्ट्रगान के रूप में अपनाया गया। संगीत अहमद गुलाम अली चगला ने दिया। गाने में अहमद रुश्दी, नसीमा शाहीन जैसे गायकों ने आवाज दी। 2022 में इसे फिर से रिकॉर्ड किया गया, जिसमें पाकिस्तान के विभिन्न समुदायों को शामिल किया गया। राष्ट्रगान के बोल देशभक्ति से ओतप्रोत हैं: “पाक सरजमीन शाद बाद, पाक सरजमीन…। यह गीत पाकिस्तान की एकता और स्वतंत्रता का प्रतीक बन गया। हाफिज साहब ने कहा था कि यह गीत उनके दिल की पुकार है।

जालंधर शहर में पैतृक मकान

हाफिज जालंधरी का पैतृक घर जालंधर शहर के हिरा सिंह नगरी इलाके में स्थित है। यह एक पुराना मकान है, जो विभाजन से पहले का है। आज भी यह खड़ा है, लेकिन अब खंडहर जैसा हो चुका है। स्थानीय लोग इसे ‘हाफिज जालंधरी का घर’ कहकर जानते हैं। विभाजन के बाद परिवार पाकिस्तान चला गया, इसलिए मकान खाली पड़ा रहा। समय के साथ यह जर्जर हो गया। कुछ लोग कहते हैं कि यहां कभी साहित्यिक चर्चाएं होती थीं। जालंधर में हाफिज साहब की याद में सड़क और पार्क भी हैं। उनका घर भारत-पाकिस्तान के सांस्कृतिक संबंधों का प्रतीक है।

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