Bihar Election 2025: बिहार वोटर लिस्ट से हटेंगे 35 लाख से ज्यादा नाम, विशेष गहन पुनरीक्षण में बड़ा अपडेट
सुप्रीम कोर्ट ने SIR को संवैधानिक बताया, आधार, वोटर आईडी, राशन कार्ड से सत्यापन, विपक्ष ने उठाए सवाल।

Bihar Election 2025: बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची को अपडेट करने का काम तेजी से चल रहा है। चुनाव आयोग ने विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के तहत अब तक की प्रक्रिया में 35 लाख से ज्यादा मतदाताओं के नाम हटाने का फैसला किया है। यह खबर बिहार के उन लोगों के लिए जरूरी है जो अपने वोट का अधिकार बचाना चाहते हैं।
क्यों हटाए जा रहे हैं नाम?
चुनाव आयोग के मुताबिक, इस पुनरीक्षण का मकसद मतदाता सूची को साफ और सही करना है। कई लोग ऐसे हैं जो अब इस दुनिया में नहीं हैं, कुछ लोग बिहार से बाहर चले गए हैं, और कुछ के नाम दो जगह दर्ज हैं। आंकड़ों के अनुसार
- 12.5 लाख लोग जो मर चुके हैं, उनके नाम अब भी सूची में हैं।
- 17.5 लाख लोग स्थायी रूप से बिहार से बाहर चले गए हैं।
- 5.5 लाख लोग दो जगह वोटर लिस्ट में दर्ज पाए गए हैं।
यह प्रक्रिया बिहार में होने वाले 2025 के विधानसभा चुनाव को निष्पक्ष और सटीक बनाने के लिए की जा रही है।
Bihar Election 2025: मतदाता सूची में नाम कैसे बचाएं?
अगर आप बिहार में वोटर हैं और आपका नाम सूची में बना रहे, इसके लिए आपको गणना फॉर्म (Enumeration Form) भरना होगा। यह फॉर्म 25 जुलाई तक जमा करना जरूरी है। अगर आप बिहार से बाहर हैं, तो आप ऑनलाइन भी फॉर्म भर सकते हैं। इसके लिए ECINet ऐप या https://voters.eci.gov.in वेबसाइट पर जाएं।
- अपने परिवार के किसी सदस्य के जरिए या व्हाट्सएप के माध्यम से फॉर्म भेज सकते हैं।
- इसके अलावा, अखबारों में विज्ञापन और बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) के जरिए भी जानकारी दी जा रही है।
आपके पास है समय कम, जल्दी करें ये काम
चुनाव आयोग ने बताया कि अब तक 6.6 करोड़ मतदाताओं ने अपने फॉर्म जमा कर दिए हैं, जो कुल मतदाताओं का 88.18% है। बाकी 11.82% लोगों को 25 जुलाई तक फॉर्म जमा करना होगा, वरना उनका नाम ड्राफ्ट वोटर लिस्ट से हट सकता है। 1 अगस्त को ड्राफ्ट लिस्ट जारी होगी, और इसके बाद भी फॉर्म 6 के जरिए आप अपना नाम जुड़वा सकते हैं।
जानें क्या है बड़ी चुनौती?
कई लोग, खासकर गरीब और प्रवासी मजदूर, जिनके पास जरूरी दस्तावेज नहीं हैं, उन्हें परेशानी हो रही है। विपक्ष का कहना है कि यह प्रक्रिया कुछ लोगों को वोट देने से रोक सकती है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रक्रिया को संवैधानिक बताया है और आधार कार्ड, वोटर आईडी, और राशन कार्ड को भी दस्तावेज के रूप में स्वीकार करने को कहा है।