महाभारत में पांडव मंदिर क्यों नहीं जाते थे और मूर्ति पूजा क्यों नहीं करते थे, असली वजह जानें
महाभारत रहस्य, पांडव क्यों नहीं जाते थे मंदिर? जानें उनके जन्म और सीधे ईश्वर से जुड़ाव का कारण।
Mahabharata Facts: महाभारत में पांडवों को हमेशा धर्मपरायण दिखाया गया है, लेकिन एक सवाल अक्सर उठता है कि वे मंदिर क्यों नहीं जाते थे और भगवान की मूर्ति पूजा क्यों नहीं करते थे। जबकि कौरव और दूसरे पात्र मंदिर जाते दिखते हैं। ज्योतिष और धार्मिक विशेषज्ञों के अनुसार इसका कारण पांडवों का विशेष जन्म और उनकी आध्यात्मिक साधना है। पांडव देवताओं के अंश से जन्मे थे, इसलिए उन्हें मूर्ति पूजा की जरूरत नहीं थी। वे सीधे ईश्वर से जुड़े थे। छोटे शहरों और गांवों के लोग जो महाभारत की कहानियां सुनते हैं, उनके लिए यह वजह हैरान करने वाली लेकिन सच्ची है। पांडव ध्यान, यज्ञ और कर्म से भगवान को प्रसन्न करते थे, न कि मंदिर जाकर। यह बात महाभारत के कई प्रसंगों से साबित होती है।
Mahabharata Facts: पांडवों का जन्म और देवताओं से सीधा संबंध
पांडवों का जन्म कुंती और माद्री के मंत्र से हुआ था। युधिष्ठिर धर्मराज, भीम वायु देव, अर्जुन इंद्र देव, नकुल-सहदेव अश्विनी कुमारों के अंश थे। इसलिए वे खुद देवताओं के अवतार थे। सामान्य मनुष्य मूर्ति पूजा से भगवान तक पहुंचते हैं, लेकिन पांडवों को इसकी जरूरत नहीं थी। वे जन्म से ही ईश्वर से जुड़े थे। श्रीकृष्ण उनके सखा और मार्गदर्शक थे, जो खुद भगवान विष्णु के अवतार थे। इसलिए पांडवों की पूजा ध्यान, सत्य और कर्म से होती थी। मंदिर जाना या मूर्ति पूजा उनके लिए जरूरी नहीं था।
महाभारत के प्रसंग जो साबित करते हैं यह बात
महाभारत में कई जगह पांडव यज्ञ करते दिखते हैं, लेकिन मंदिर जाने का कोई जिक्र नहीं। वनवास में वे ऋषियों के साथ ध्यान और तप करते थे। द्रौपदी भी अग्नि से उत्पन्न हुई थीं और लक्ष्मी का अंश थीं। कौरव साधारण मनुष्य थे, इसलिए वे मंदिर जाते थे। पांडवों की शक्ति उनके कर्म और धर्म में थी। श्रीकृष्ण ने गीता में अर्जुन को ज्ञान योग सिखाया, न कि मूर्ति पूजा। पांडवों का जीवन सिखाता है कि सच्ची भक्ति कर्म और ध्यान से होती है, दिखावे से नहीं। यह वजह आज भी लोगों को सच्ची पूजा का रास्ता दिखाती है। महाभारत की यह सीख हर घर में गूंजनी चाहिए।



