कोरोना के कारण क्रिसमस के मौके पर इस बार नहीं लगा मेला, वापस लौट गए बच्चे, एकजुटता का संदेश देता है ये पर्व
शेखपुरा जिले के बरबीघा के मिशन हाई स्कूल स्थित कैथोलिक चर्च और शेखपूरा शहर के स्टेशन रोड स्थित मारिया आश्रम में भी क्रिसमस धूम-धाम से मनाया जाता है। इस मौके पर हर साल यहां मेला लगता था। जिसमें ईसाइयों के अलावे हिन्दू, मुसलमान आदि सभी धर्म के बच्चे और बड़े भी भाग लेते थे, शांति और सद्भावना की असली मिसाल देखने को मिलता था। पर इस बार कोरोना ने ये खुशियां भी छीन ली। हालांकि, कोरोना संक्रमण के प्रसार के मद्देनजर पहले ही ये घोषणा कर दिया गया था। पर बच्चे कहाँ मानते हैं, आ गए आज भी मेला घूमने। पर नियम के मुताबिक गेट नहीं खुला। मायूस बच्चों ने कुछ इंतजार के बाद घर जाने में ही भलाई समझा।
वहीं आज इस मौके पर बरबीघा के मिशन ओपी प्रभारी मो फ़ैयाज़ ने भी मोमबत्ती जलाकर समाज को शांति और सद्भावना का संदेश दिया है।
क्रिसमस के बारे में सभी को पता है कि इस दिन जीसस के जन्म का जश्न मनाया जाता है। दुनिया भर के ईसाइयों के लिए ये उत्सव का दिन होता है। ईसा मसीह ने लोगों को एकजुट होकर रहने की सीख दी। साथ ही साथ उन्हें हमेशा भगवान के करीब रहने का रास्ता भी दिखाया। उन्होंने हमेशा लोगों को माफ करने और माफी मांगने का संदेश दिया।
इसके अलावा, उन्होंने अपने हत्यारों को भी माफ़ कर दिया। उनका कहना था कि आपस में भाईचारा ही हमारी सबसे बड़ी ताकत है। लोगों को हमेशा एक दूसरे की मदद करनी चाहिए। 25 दिसंबर को ईसा मसीह का जन्मदिन मनाने को लेकर आज भी लोगों के अलग-अलग विचार हैं।
बहुत कम लोग ये बात जानते हैं कि भले ही अधिकतर मुसलमान क्रिसमस नहीं मनाते हैं, लेकिन जीसस इस्लाम धर्म में भी काफी अहमियत रखते हैं। इस्लाम धर्म के पवित्र ग्रन्थ कुरान में जीसस और मैरी का कई बार जिक्र किया गया है।