नहाय-खाय के साथ आज से चार दिवसीय महापर्व की शुरुआत, श्रद्धालु कर रहे पूजन सामग्री का वितरण
आज से पूरे भारत में सूर्योपासना के चार दिवसीय महापर्व की शुरुआत हुई है। हालांकि अब देश के अन्य हिस्सों के अलावे विदेशों में भी इस पवित्र पूजा का प्रचलन बढ़ा है। आज पहला दिन है यानी नहाय-खाय। गुरुवार को लोहन्डा, शुक्रवार को पहली अरग और शनिवार को पारण के साथ महापर्व की समाप्ति होगी। पौराणिक काल से ही छठ पूजा का बड़ा महत्व है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन छठ पूजा की जाती है। भगवान सूर्य को समर्पित इस पूजा में सूर्य को अर्ध्य दिया जाता है। इस पूजन में शरीर और मन को पूरी तरह साधना पड़ता है, इसलिए इस पर्व को हठयोग भी कहा जाता है। छठ पूजा क्यों की जाती है? इसको लेकर विद्वानों के अलग-अलग मत हैं। हम यहां छठ पूजा मनाने को लेकर प्रचलित कथाओं के बारे में बता रहे हैं।

भगवान राम ने की थी छठ पूजा
पैराणिक कथाओं के अनुसार भगवान श्री राम सूर्यवंशी थे। इसलिए जब श्रीराम लंका पर विजय करके वापस अयोध्या आए तो उन्होंने अपने कुलदेवता सूर्य की उपासना की। उन्होंने देवी सीता के साथ षष्ठी तिथि पर व्रत रखा। सरयू नदी में डूबते सूर्य को अर्ध्य दिया। सप्तमी तिथि को भगवान श्री राम ने उगते सूर्य को अर्ध्य दिया। इसके बाद से आम जन भी इसी तरह से भगवान सूर्य की आराधना करने लगे। जिससे छठ पूजा की शुरुआत कहा जाने लगा।

अंगराज कर्ण करते थे पूजा
महाभारत में वर्णित कथा के अनुसार दुर्योधन ने अपने मित्र कर्ण को अंग देश का राजा बना दिया था। जो वर्तमान में भागलपुर के नाम से जाना जाता है। कर्ण कुन्ती और सूर्यदेव के पुत्र थे, इसलिए वे सूर्यदेवता की उपासना करते थे। कर्ण नियम पूर्वक कमर तक पानी में जाकर सूर्य देव की आराधना करते थे और दान देते थे। माना जाता है कि षष्ठी और सप्तमी के दिन कर्ण सूर्य देवता की विशेष पूजा करते थे। अपने राजा की सूर्य भक्ति से प्रभावित होकर अंग देश के निवासी सूर्य देवता की पूजा करने लगे। धीरे-धीरे यह पूजा पूरे क्षेत्र में की जाने लगी।

पूरे नियम और धर्म से की गई इस पूजा में हर श्रद्धालु अपनी श्रद्धा के अनुसार भाग लेता है। जिनके यहां पूजा नहीं होती वे पूजा होने वाले घरों में पूजन सामग्री बाँट कर अपनी भागीदारी सुनिश्चित करते हैं। कोई घाटों की साफ सफाई में जुट जाते हैं, तो कोई गलियों की साफ-सफाई ही कर लेते हैं। कहते हैं उनके द्वारा साफ की गई गलियों से जब छठ व्रतियाँ गुजरती हैं तो उन्हें भी पूण्य मिलता है।
(फ़ोटो फेसबुक से साभार)