धर्म और आस्थाशेखपुरा

नहाय खाय के साथ आज जिउतिया पर्व का शुभारंभ, माताएं अपनी संतानों के सुख समृद्धि के लिये करती है निर्जला उपवास

वैश्विक महामारी कोरोना के बीच अनेकों रंग के त्योहारों वाले अपने देश में होने वाले इस साल के सभी पर्वों को सादगी के सम्पन्न किया जा रहा है। कोरोना काल मे कई त्योहारों के बीतने के बाद आज से नहाय खाय के साथ शुरू हुआ जीवित्पुत्रिका व्रत यानी जिउतिया। कल महिलाएं अपने बच्चे की दीर्घायु, आरोग्य और सुखमय जीवन के लिए व्रत रखेंगी। यह व्रत हर साल अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। वहीं इस पर्व के पहले दिन नहाय खाय के दौरान आज बाजारों में काफी भीड़ देखने को मिली, जो चिंताजनक है।

क्या हैं मान्यताएं

जिउतिया पर्व को लेकर मान्यता है कि संतान की मंगलकामना और लंबी उम्र के लिए ये व्रत माताएं रखती है। छठ पूजा की तरह ही ये व्रत भी निर्जला होता है। जो कि नहाय खाय के साथ शुरू होता है और तीन दिनों तक चलता है। ऐसा कहा जाता है कि जो कोई भी इस व्रत की कथा को सुनता है वह जीवन में कभी संतान वियोग का सामना नहीं करता है।

पूजन की विधि

पूजन के लिए जीमूतवाहन की कुशा से निर्मित प्रतिमा को धूप-दीप, चावल, पुष्प आदि अर्पित किया जाता है और फिर माताएं उसकी पूजा करती है। इसके साथ ही मिट्टी तथा गाय के गोबर से चील व सियारिन की प्रतिमा बनाई जाती है। जिसके माथे पर लाल सिंदूर का टीका लगाया जाता है। पूजन समाप्त होने के बाद जिउतिया व्रत की कथा सुनी जाती है। पुत्र की लंबी आयु, आरोग्य तथा कल्याण की कामना से स्त्रियां इस व्रत को करती है। कहते हैं जो महिलाएं पुरे विधि-विधान से निष्ठापूर्वक कथा सुनकर ब्राह्मण को दान-दक्षिणा देती है, उन्हें पुत्र के सुख व उनकी समृद्धि प्राप्त होती है।

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