Bihar Chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी का एक बयान सुर्खियां बटोर रहा है। औरंगाबाद की एक सभा में उन्होंने उच्च जातियों के 10% प्रतिनिधित्व का जिक्र किया। राहुल गांधी 10 प्रतिशत बयान ने जाति जनगणना और सामाजिक न्याय के मुद्दे को फिर से गरमा दिया। लेकिन भारतीय सेना पर उनकी टिप्पणी ने विवाद की नई आग लगा दी। राहुल ने कहा कि सेना पर भी उच्च जातियों का कंट्रोल है। यह बयान कुटुंबा विधानसभा क्षेत्र की सभा में आया, जहां वे कांग्रेस प्रत्याशी के समर्थन में थे। बिहार चुनाव राहुल गांधी बयान से सत्ताधारी दल और विपक्ष के बीच बहस छिड़ गई। क्या यह चुनावी हथियार बनेगा?
राहुल गांधी ने क्या कहा? औरंगाबाद सभा का पूरा विवरण
राहुल गांधी बिहार सभा में राहुल ने साफ कहा कि देश के नौकरशाही, न्यायपालिका और कारपोरेट जगत में सिर्फ 10% उच्च जातियां हावी हैं। बाकी 90% आबादी – ओबीसी, दलित, आदिवासी और अल्पसंख्यक – को सत्ता से बाहर रखा गया है। उन्हें नौकरी के मौके नहीं मिलते, न ही प्रतिनिधित्व। राहुल ने जोड़ा कि भारतीय सेना में भी यही हाल है – उच्च जातियां ही सब कंट्रोल करती हैं। उन्होंने मांग की कि जाति जनगणना हो, ताकि असमानता के आंकड़े सामने आएं। राहुल गांधी सेना बयान के जरिए बोले कि संविधान बचाने के लिए सबको बराबरी का हक चाहिए। अगर 90% लोग बाहर रहेंगे, तो लोकतंत्र अधूरा है। यह सभा बिहार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम के पक्ष में थी। हजारों लोग जमा हुए, लेकिन बयान वायरल होते ही बहस शुरू हो गई।
विवाद क्यों? पुराने बयानों का पुराना दर्द
राहुल गांधी 10% विवाद का केंद्र है सेना पर टिप्पणी। राहुल पहले भी सेना से जुड़े मुद्दों पर फंस चुके हैं। जैसे, चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश में भारतीय सैनिकों की “पिटाई” और मोदी सरकार द्वारा 2000 वर्ग किलोमीटर जमीन चीन को सौंपने का दावा। तब सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि सच्चे भारतीय ऐसी बातें नहीं कहते। जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस ए.जी. मसीह की बेंच ने नाराजगी जताई थी। अब यह नया बयान उसी घाव को कुरेद रहा है। विशेषज्ञ कहते हैं कि सेना की तटस्थता पर सवाल उठाना संवेदनशील है। यह जातीय राजनीति को बढ़ावा दे सकता है, लेकिन राष्ट्रीय एकता को नुकसान पहुंचा सकता है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं: सत्ताधारी दल का हमला, कांग्रेस का बचाव
भाजपा और एनडीए ने राहुल के बयान को पकड़ लिया। वे इसे “सेना को जाति में बांटने की साजिश” बता रहे हैं। सत्ताधारी दल चुनावी मुद्दा बनाने की तैयारी में हैं। एक भाजपा नेता ने कहा, “राहुल गांधी सेना को कमजोर करने पर तुले हैं।” दूसरी ओर, कांग्रेस इसे बता रही। पार्टी का कहना है कि राहुल ने असली समस्या बताई – 90% लोगों का हक छीना जा रहा। राहुल गांधी बयान प्रतिक्रिया में महागठबंधन के साथी भी समर्थन दे रहे। लेकिन विश्लेषक मानते हैं कि यह बयान बिहार के जातीय समीकरणों को प्रभावित करेगा। ओबीसी और दलित वोटरों को लुभाने की कोशिश है, लेकिन सेना वाला हिस्सा उल्टा पड़ सकता है।
बिहार चुनाव पर असर: क्या बदलेगा वोट का खेल?
राहुल गांधी बिहार चुनाव बयान पहले चरण की वोटिंग (6 नवंबर) से ठीक पहले आया। औरंगाबाद जैसे इलाकों में जाति मुद्दा हमेशा गर्म रहता है। राहुल की मांग जाति जनगणना की है, जो महागठबंधन का मुख्य एजेंडा है। लेकिन सेना पर टिप्पणी से युवा और सेना से जुड़े परिवार नाराज हो सकते हैं। राजनीतिक पंडित कहते हैं कि यह बयान विपक्ष को मजबूत करेगा या कमजोर, यह वक्त बताएगा। बिहार की 243 सीटों पर मुकाबला कड़ा है। राहुल का यह दौरा महागठबंधन को एकजुट करने का प्रयास है।




