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दुलारचंद हत्याकांड क्या है? 'शॉकिंग' टाइमलाइन, अनंत सिंह की गिरफ्तारी से लेकर FIR की पूरी कहानी

बिहार की राजनीति में भूचाल लाने वाले इस केस की पूरी टाइमलाइन और अनंत सिंह पर लगी 1 'खतरनाक' धारा।

Bihar News: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के बीच, मोकामा की हाई-प्रोफाइल सीट से JDU उम्मीदवार और बाहुबली नेता अनंत सिंह की गिरफ्तारी ने राज्य की सियासत में भूचाल ला दिया है। 1 नवंबर की देर रात 150 पुलिसकर्मियों की एक विशाल टीम ने अनंत सिंह को दुलारचंद हत्याकांड के सिलसिले में गिरफ्तार किया। यह मामला 30 अक्टूबर को हुई एक हिंसक झड़प और हत्या से जुड़ा है, जिसने मोकामा के चुनावी माहौल को रक्तरंजित कर दिया।

यह गिरफ्तारी चुनाव से ठीक पहले हुई है और इसने कई राजनीतिक सवालों को जन्म दे दिया है। आइए जानते हैं कि यह दुलारचंद हत्याकांड क्या है, इसमें अनंत सिंह का नाम कैसे आया और 30 अक्टूबर से लेकर अब तक की पूरी ‘शॉकिंग’ टाइमलाइन क्या है।

Bihar News: 30 अक्टूबर – वह दिन जब हुई हत्या

30 अक्टूबर 2025 को मोकामा के टाल इलाके के खुशहालचक में 75 वर्षीय दुलारचंद यादव की हत्या कर दी गई। दुलारचंद यादव, जो खुद भी पूर्व में RJD से जुड़े रहे थे और उनका एक आपराधिक इतिहास रहा है, इस बार जन सुराज पार्टी के उम्मीदवार पीयूष प्रियदर्शी के लिए प्रचार कर रहे थे। घटना के दिन, दुलारचंद यादव का काफिला और JDU उम्मीदवार अनंत सिंह का काफिला आमने-सामने आ गया। दोनों पक्षों के समर्थकों के बीच पहले तीखी नोकझोंक और गाली-गलौज हुई, जो देखते ही देखते हिंसक झड़प में बदल गई। इसी झड़प के दौरान दुलारचंद यादव की मौत हो गई।

FIR में अनंत सिंह पर ‘शॉकिंग’ आरोप

दुलारचंद हत्याकांड में असली मोड़ तब आया जब मृतक दुलारचंद यादव के पोते नीरज कुमार ने इस मामले में FIR दर्ज कराई। इस FIR में अनंत सिंह को मुख्य आरोपी बनाया गया। नीरज कुमार ने अपनी शिकायत में ‘शॉकिंग’ आरोप लगाते हुए कहा कि झड़प के दौरान खुद अनंत सिंह ने अपनी कमर से पिस्तौल निकाली और उनके दादा (दुलारचंद) के पैर में गोली मार दी।

FIR के मुताबिक, गोली लगने के बाद जब दुलारचंद यादव जमीन पर गिर पड़े, तब अनंत सिंह के समर्थकों (छोटन सिंह और संजय सिंह) ने उन पर लोहे की रॉड से हमला किया। आरोप है कि इसके बाद भी जब वे नहीं रुके, तो एक SUV गाड़ी को दुलारचंद के ऊपर दो से तीन बार चढ़ाया गया, जिससे उनकी मौके पर ही कुचलकर मौत हो गई। इस FIR में अनंत सिंह के अलावा उनके दो भतीजों कर्मवीर और रणवीर समेत कई अन्य लोगों को भी नामजद किया गया।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट और पुलिस की जांच

हालांकि, 1 नवंबर को आई पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने मामले को थोड़ा और उलझा दिया। रिपोर्ट के अनुसार, दुलारचंद की मौत का मुख्य कारण “कठोर और कुंद वस्तु से हृदय और फेफड़ों में आई गंभीर चोट” और उससे हुआ कार्डियक अरेस्ट था। रिपोर्ट में यह भी पुष्टि की गई कि उनके पैर में गोली लगी थी जो आर-पार हो गई थी और उनकी पसलियां बुरी तरह कुचली हुई थीं, जो गाड़ी से कुचलने के आरोप की पुष्टि करता है।

पुलिस ने इस रिपोर्ट और चश्मदीदों के बयानों को अपनी जांच का आधार बनाया। पटना SSP कार्तिकेय शर्मा ने कहा कि जांच में यह पाया गया कि अनंत सिंह घटना के समय अपने समर्थकों के साथ मौके पर मौजूद थे, जो आदर्श आचार संहिता का भी उल्लंघन था।

1 नवंबर – अनंत सिंह की गिरफ्तारी का ड्रामा

दुलारचंद हत्याकांड की FIR में नाम आने के बावजूद अनंत सिंह खुलेआम प्रचार कर रहे थे, जिसे लेकर चुनाव आयोग और विपक्ष लगातार सवाल उठा रहा था। 1 नवंबर की रात को पुलिस ने बड़ा एक्शन लिया।

  • रात 11:10 बजे: पटना SSP कार्तिकेय शर्मा के नेतृत्व में लगभग 150 पुलिसकर्मियों की टीम ने बाढ़ स्थित अनंत सिंह के आवास को घेर लिया।
  • रात 11:45 बजे: पुलिस और अनंत सिंह के बीच चली बातचीत और गहमागहमी के बाद, अनंत सिंह को हिरासत में ले लिया गया।
  • देर रात 1:45 बजे: अनंत सिंह को पटना लाया गया।
  • देर रात 2:00 बजे: SSP और पटना DM ने एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अनंत सिंह और उनके दो सहयोगियों (मणिकांत ठाकुर और रंजीत राम) की गिरफ्तारी की आधिकारिक पुष्टि की।

अनंत सिंह पर लगी ‘खतरनाक’ धारा

अनंत सिंह पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 103(1) के तहत मामला दर्ज किया गया है, जो पुरानी IPC की धारा 302 (हत्या) के बराबर है। इसके अलावा शस्त्र अधिनियम (Arms Act) की भी गंभीर धाराएं लगाई गई हैं। BNS की धारा 103(1) में न्यूनतम सजा आजीवन कारावास और अधिकतम सजा मृत्युदंड (फांसी) का प्रावधान है।

क्या था हत्या का असली मकसद?

दुलारचंद हत्याकांड के पीछे पुरानी राजनीतिक अदावत और व्यक्तिगत दुश्मनी को मुख्य वजह माना जा रहा है। दुलारचंद यादव कभी अनंत सिंह के करीबी हुआ करते थे और 2022 के उपचुनाव में RJD के टिकट पर उनकी पत्नी नीलम देवी के लिए प्रचार भी किया था। लेकिन इस बार वह अनंत सिंह के खिलाफ जन सुराज के लिए प्रचार कर रहे थे।

इससे भी बड़ी वजह दुलारचंद द्वारा दिए गए कुछ हालिया इंटरव्यू माने जा रहे हैं, जिसमें उन्होंने अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी पर बेहद ‘शॉकिंग’ और अपमानजनक व्यक्तिगत टिप्पणियां की थीं। उन्होंने नीलम देवी को “नीलम खातून” और “नाचने वाली” तक कह दिया था। माना जा रहा है कि इन बयानों से अनंत सिंह खेमा बेहद नाराज था, जिसने इस खूनी संघर्ष की जमीन तैयार की।

अनंत सिंह का पलटवार और EC का एक्शन

वहीं, अनंत सिंह ने इन सभी आरोपों को खारिज करते हुए इसे अपने खिलाफ साजिश बताया है। उन्होंने इस पूरी घटना के लिए अपने पुराने प्रतिद्वंद्वी और मोकामा से RJD उम्मीदवार वीणा देवी के पति सूरजभान सिंह को जिम्मेदार ठहराया है। इस बीच, चुनाव आयोग ने भी इस हिंसा पर कड़ा रुख अपनाते हुए पटना (ग्रामीण) SP, मोकामा के रिटर्निंग ऑफिसर (SDO) और दो SDPO समेत कई अधिकारियों का तबादला कर दिया है और एक SDPO को निलंबित भी किया है।

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