
Sheikhpura: पूरा देश कोरोना महामारी की चपेट में है। इस महामारी की दूसरी लहर के बाद तीसरी के आने की प्रबल सम्भावना है। आम से लेकर खास सब इस समस्या से जल्द से जल्द छुटकारा चाहते हैं। सरकार युद्धस्तर पर अपने लोगों का टीकाकरण और जाँच करवा रही है। गांव-गांव जाँच और टीकाकरण के लिये स्वास्थ्य कर्मियों का दल भेजा जा रहा है। एक तरफ टीके के लिये लम्बे इंतजार के बाद स्लॉट की बुकिंग हो रही है। आरटीपीसीआर जांच में भी लाइन है। दूसरी तरफ इस टीके और जाँच का बिरोध भी बदस्तूर जारी है। जो कहीं न कहीं ग्रामीण स्तर पर आज भी इसके प्रति जागरूकता का घोर अभाव दर्शाता है। मिली जानकारी के मुताबिक जिले के कई गांवों में ग्रामीणों के द्वारा टीकाकरण और जाँच का विरोध किया गया है। ताजा मामला बरबीघा प्रखण्ड के बभनिमा गाँव का है, जहाँ लोगों के द्वारा इस टीकाकरण का विरोध किया गया है।
रेफरल अस्पताल के प्रशासनिक पदाधिकारी डॉ फैसल अरशद के नेत्तृत्व में गांव गए स्वास्थ्य दल को दो घण्टे तक गांव घूमने के बाद बापस लौटा दिया। इस संबंध में जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि ग्रामीणों के अनुसार गांव के कुछ लोगों ने पहले अपना टीकाकरण करवाया था। जिससे उनको हल्का बुखार हो गया। इसी डर से गांववालों ने अपना टीकाकरण नहीं करवाया। साथ हो उन्होंने बताया कि टीका लगने के बाद बुखार, सरदर्द अधिक सामान्य प्रक्रिया है। लेकिन जानकारी के अभाव में ग्रामीण सरकारी अस्पताल ना जाकर झोलाछाप डॉक्टरों के पास इसका इलाज कराने चले जाते हैं। इलाज के नाम पर झोलाछाप डॉक्टर उनसे रुपया ऐंठ लेता है। इस कारण गांव वालों में टीकाकरण के प्रति गलत माहौल बन जाता है। इस गलतफहमी के कारण वे टीकाकरण से बंचित रह पाते हैं।

उन्होंने बताया कि टीका लगने के बाद सभी का शरीर दो- तीन दिनों तक अपने हिसाब से रियेक्ट करता है। जो नॉर्मल दवाई से ही ठीक हो सकता गया। सभी सरकारी अस्पतालों में उसकी उचित व्यवस्था है। साथ ही अस्पतालों में लोगों को उचित सलाह भी दिया जा रहा है। उन्होंने लोगों से इस गलतफहमी को अपने अंदर से निकालकर टीका लगवाने की अपील भी की है। ये गलतफहमी कहीं गांववालों पर भारी न पड़े।