
Sheikhpura: महज 3 दिनों की मूसलाधार बारिश से बरबीघा नगर परिषद के कई इलाके जलमग्न हो गए। नालियां उफ़न गई, नाले भर गए। जगह-जगह जल-जमाव के कारण यहां के निवासियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। लोगों को नाले के पानी से होकर ही गुजरना मजबूरी बन गई। डगरपर, फैजाबाद सहित कई इलाकों का यही हाल है। हालांकि सूचना मिलते ही नगर परिषद के कर्मी बैकल्पिक व्यवस्था कर पानी निकालने में जुट गए हैं। इस संबन्ध में कार्यपालक पदाधिकारी विजय कुमार ने कहा कि 2 से 3 घण्टे में इस समस्या से लोगों को छुटकारा मिल जाएगा।
इस समस्या की क्या है बजह?
कहने को तो बरबीघा नगर परिषद है। पर यहां की गलियों में आप घुमके देखिये। संकीर्ण गलियों में घनी आवादी बसती है यहां। मुख्य बाजार हो या आवासीय इलाका सभी जगह यही हाल है। जहाँ सड़कें चौड़ी हैं वहां अतिक्रमण है और संकरी हैं वहां की बात ही अलग है। यहां लोग मकान तो लाखों खर्च करके बना लेते हैं, पर रास्ता और नाली के लिए जगह छोड़ना उचित नहीं समझते। रास्ता और नाली सरकार और प्रशासन की जिम्मेदारी है इसलिये दोष प्रशासन का है। प्रशासन नाली का टेंडर पास कर तो देते हैं पर कोई अपने घर के आगे से नाली बनने देना नहीं चाहते। कई ऐसे उदाहरण आपको मिल जायेंगे, जहाँ नाली साइड से बनने नहीं दिया गया मजबूरन प्रशासन को नाली सड़क के बीचों-बीच बनाना पड़ा। कई ऐसे प्रोजेक्ट जगह की कमी के कारण रुके पड़े हैं।
बड़े नाले को शहरवासियों ने बनाया कचड़ा घर
नगर प्रशासन के द्वारा शहर के पानी के निकास के लिये बड़ा नाला बनवाया गया। पर शहरवासी उस नाले में पानी गिराने की बजाय उसे कचड़ा गिराने लगे। नाले के आस-पास के घरों का सारा छोटा-बड़ा कचरा नाले में गिराने से नाले का मुहाना ही जाम रहता है। जिसके कारण पानी का बहाब रुक जाता है।
क्या हो सकता है उपाय?
इस समस्या से छुटकारे के लिये शहरवासियों को नगर प्रशासन का सहयोग करना होगा। खुद आगे आकर शहर की सफाई, सड़कों और नालियों के निर्माण में आ रहे व्यवधानों के लिये पहल करना होगा। सड़कों और गलियों को अपनी स्वेच्छा से अतिक्रमण मुक्त करना होगा। सरकार और प्रशासन को दोष देने की बजाय अपनी जिम्मेदारियों को समझना होगा। राजनितिज्ञों को अपने फायदे और वोट की राजनीति छोड़कर शहर के विकास के बारे में सोचना होगा। बिना शहरवासियों के सहयोग के इस समस्या से छुटकारा पाना असंभव है।