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विपक्षी एकता की बैठक में शामिल होने महबूबा, ममता व अरविंद पहुंचे पटना, कल आएंगे राहुल समेत अन्य नेता

Patna: शुक्रवार 23 जून को बिहार की राजधानी पटना में विपक्षी एकता की बैठक होने वाली है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आवास पर यह बैठक होने वाली है। जिसमें देश के कुल 18 राजनीतिक पार्टियों के बड़े नेता व कई राज्यों के मुख्यमंत्री भी शामिल हो रहे हैं। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी सहित तमाम विपक्ष के लोग एकजुट हो रहे हैं। इसको लेकर राजधानी पटना में बड़ी तैयारी की गई है। सुरक्षा के बेहद पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। नेताओं को ठहरने की जगह आम लोगों का प्रवेश बन्द कर दिया गया है। एक-एक कर तमाम नेताओं के आने का सिलसिला भी शुरू हो गया है। एयरपोर्ट पर मीडिया कर्मियों का जमावड़ा लग चुका है।

आपको बता दें कि सबसे पहले आज जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री व पीडीपी की महबूबा मुफ्ती पटना पहुंची। उसके बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस की ममता बनर्जी भी पटना पहुंच चुकी हैं। उनके भतीजे भी साथ में आये हैं। थोड़ी देर पहले आम आदमी पार्टी के दिल्ली मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल व पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान भी पटना पहुंच चुके हैं। बिहार सरकार के कई मंत्री, विधायक यहां तक की जद यू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह खुद भी सबों के स्वागत में जुटे हैं। खबर है कि देर शाम तक तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन भी पटना पहुंच जाएंगे। वहीं कांग्रेस सहित बाकी के सभी नेता कल सुबह पटना पहुंचेंगे।

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक बैठक में शामिल होने वाले तमाम दलों के नेता पहले एक साथ मिलकर प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने की तैयारी करेंगे। पूरी एकता के साथ मोदी को हराने की रणनीति पर विचार होगा। सभी के बीच आपस में सीटों के तालमेल की बात भी हो सकती है। सूत्रों के मुताबिक काफी लंबी चलने वाली इस बैठक के बाद संयुक्त रूप से प्रेस को भी संबोधित किया जाएगा। जिसमें बैठक में होने वाली वार्ता की जानकारी मीडिया को दी जाएगी।बता दें कि इस बैठक के बाद भी महागठबंधन के आगे तमाम तरह की चुनौतियां होंगी। जिनसे निपटना आसान नहीं होगा। जिस तरह की परिस्थितियां बन रही है। उसमें सीट शेयरिंग से लेकर तमाम तरह की उलझनें अभी बाकी हैं। उत्तरप्रदेश में जहां अखिलेश व मायावती को एक करना बड़ी चुनौती होगी। वहीं पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस व लेफ्ट के बीच समझौता करवाना भी नाकों चने चबाने जैसा है। इसके अलावे भी कई अन्य राज्यों में इस तरह की परिस्थिति से जूझना पड़ सकता है। इन सभी परेशानियों से उबर भी गए तो BJP की रणनीति को भेदकर मैदान में बाजी मार लेना बड़ी बात होगी। इतना ही नहीं चुनाव में जीत के बाद महागठबंधन को प्रधानमंत्री का चुनाव करना होगा। कुल मिलाकर कहें तो अभी के राजनीतिक परिदृश्य के मुताबिक यह होना असंभव सा प्रतीत हो रहा है। परन्तु ये राजनीति है यहाँ कुछ भी असंभव नहीं है।

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