Sheikhpura: जलवायु परिवर्तन से मानव अस्तित्व पर ही संकट के बादल खड़े हो गये हैं। मानव सभ्यता को बचाए रखने के लिए जल जीवन और हरियाली का होना बेहद ही जरूरी है। हमें अपने और अपनी आनेवाली पीढ़ी के बेहतर भविष्य के लिए इसके संरक्षण की आवश्यकता है। इसी परिप्रेक्ष्य में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के द्वारा 26 अक्टूबर 2019 को जल-जीवन-हरियाली योजना की शुरूआत की गई थी। वर्तमान में यह योजना अपने दूसरे फेज में कार्य कर रही है, जो 2022 से 2026 तक चलेगा। मंगलवार को समाहरणालय स्थित मंथन सभागार में जिलाधिकारी सावन कुमार की अध्यक्षता में जल-जीवन-हरियाली योजना की समीक्षात्मक बैठक आयोजित की गई।
जिलाधिकारी ने बैठक को किया संबोधित
बैठक को संबोधित करते हुए जिलाधिकारी ने कहा कि जल-जीवन-हरियाली योजना शुरू करने का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण संतुलन को बनाये रखना, वातावरण में हरियाली हो ताकि इसका लाभ हमें ऑक्सीजन के रूप में मिलता रहे। इस योजना के तहत बड़े पैमाने पर पौधारोपण का कार्य किया जा रहा है। जिससे वातावरण में हरियाली के साथ बारिश में वृद्धि होगी। किसानों को सिंचाई के लिए पर्याप्त मात्रा जल की आपूर्ति होगी। वहीं अधिक मात्रा में पेड़-पौधे लगाये जाने से भू-क्षरण भी नहीं होगा। एक अनुमान है कि एक पेड़ साल में 20 किलो धूल व 20 हजार किलो कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है एवं 700 किलो ऑक्सीजन छोड़ता है। स्वच्छ एवं संतुलित पर्यावरण के लिए पृथ्वी पर 33% हरियाली का होना अत्यंत ही आवश्यक है।
पेड़ों की कटाई मानव जीवन पर भारी
शहरीकरण एवं निजी स्वार्थ के कारण हमलोग लगातार पेड़ों की कटाई करते जा रहे हैं। इसका नतीजा यह हुआ कि इसने पर्यावरण को असंतुलित कर दिया। फलस्वरूप हम सूखे एवं अल्पवृष्टि अथवा अतिवृष्टि के शिकार होते जा रहे ह। हमारी कृषि को जब वर्षा की आवश्यकता होती है तब समय पर वर्षा नहीं मिल पाता है। कम वर्षा से तालाब, आहर, पईन, जलाशय आदि में वर्षा का जल संचयन नहीं हो पाता है। जिससे एक तरफ भूजल स्तर काफी गिर जाता है। जिससे किसानों को प्रतिकूल स्थिति से जूझना पड़ता है।7 विभाग मिलकर कर रहे कार्य
जल-जीवन-हरियाली योजना अंतर्गत इन्हीं समस्याओं को दूर करने के प्रयास के तहत राज्य में कई तरह की प्राथमिकताएं निर्धारित की गई। जैसे-अधिक से अधिक पेड़ पौधे लगाने का कार्य, सभी सार्वजनिक कुओं की ठीक तरह से मरम्मत करना। आहर, पईन, नदी नहर आदि को अवैध कब्जे से मुक्त करना। ताकि वर्षा का जल संचयन हो सके और खेतों तक जल को पहुंचाया जा सके। वर्षा जल का संचयन, सोखता का निर्माण आदि का कार्य इस योजना के तहत किया जा रहा है। ताकि लोगों के जीवन को सुगम बनाया जा सके। जल-जीवन-हरियाली योजना के सफलता के लिए ग्रामीण विकास, पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन, जल संसाधन, राजस्व व भूमि सुधार, लघु जल संसाधन, नगर विकास, पीएचईडी, कृषि, भवन, सूचना एवं जन-सम्पर्क बिहार आदि को शामिल किया गया है।
डीपीआरओ ने योजना को बताया बेहद महत्वपूर्ण
जिला जन-सम्पर्क पदाधिकारी ने बताया कि इसमें 11 अवयव और 9 विभागों को शामिल किया गया है। बिहार सरकार द्वारा पर्यावरण को संतुलित रखने के लिये पर्याप्त मात्रा में जल व प्रकृति में हरियाली बनाये रखने के उद्देश्य से जल-जीवन हरियाली योजना की शुरूआत की गई। इस योजना के द्वारा बिहार में कई कार्य किये जा रहे हैं। जैसे-पहाड़ी क्षेत्रों में चैक डैम का निर्माण, वृक्षारोपण का कार्य, तालाब निर्माण, सार्वजनिक कुओं का मरम्मतिकरण आदि भवनों में जल संचयन संरचना का निर्माण सौर ऊर्जा को बढ़ावा दिया जाना, जल संरचनाओं को अतिक्रमण से मुक्त कराना आदि।
जबकि अनुमंडल पदाधिकारी ने जल-जीवन-हरियाली के प्रचार-प्रसार हेतु सभी मीडिया बन्धुओं से सहयोग की अपील की। इस अवसर कई अन्य जिला स्तरीय पदाधिकारियों के द्वारा जल-जीवन-हरियाली विषय पर अपना विचार प्रस्तुत किया गया। बैठक में उप विकास आयुक्त, अपर समाहर्ता-सह-जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी, अनुमंडल पदाधिकारी, सभी वरीय उप समाहर्ता, जिला परिवहन पदाधिकारी, प्रिंट मीडिया एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया बन्धुओं के साथ-साथ अन्य जिला स्तरीय पदाधिकारीगण भी मौजूद थे।