जरा हट केबिहारशेखपुरा

बयान से आहत होकर जदयू सांसद ललन सिंह को सामाजिक कार्यकर्ता ने भेजा कानूनी नोटिस

बीते दिनों जदयू सांसद ललन सिंह द्वारा नवादा जिला के पार्टी कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित के दौरान बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री बिहार केसरी डॉक्टर श्री कृष्ण सिंह की जन्मभूमि नवादा के खनवां गांव को बताया गया था। इसी बयान के वायरल वीडियो का हवाला देते हुए शेखपुरा जिले के बरबीघा नगर परिषद अंतर्गत माउर गांव निवासी अविनाश कुमार उर्फ काजू सिंह द्वारा अदालत में एक परिवाद दायर किया गया है।

आक्रोशित स्थानीय जनता का नेतृत्व कर रहे अविनाश कुमार के दायर परिवाद और उक्त वायरल वीडियो क्लिप का हवाला देते हुए अविनाश कुमार के अधिवक्ता रामजन्म सिंह के द्वारा सांसद ललन सिंह को उक्त परिवाद की कानूनी नोटिस भेजी गई है ।

भेजे गए कानूनी नोटिस में बिहार केसरी के भाई देवकीनंदन जी के ज्योतिषी विषय पर विश्व विख्यात पुस्तक का हवाला देते हुए उनके जन्म स्थान में बरबीघा के माउर होने की बात बताई गई है। अविनाश कुमार ने कहा कि कि बिहार केसरी की जन्मभूमि को बिहार सरकार के गजट के द्वारा भी नवादा जिले के खनवां गांव को घोषित किया गया है तथा वहां के विकास को एक अलग दशा तथा दिशा दी गई है। विकास की प्रशंसा कर बिहार के अन्य गांव के विकास की रूपरेखा बिना राजनीति से प्रेरित हुए बगैर करने की अनिल शंकर सिंह ने बिहार सरकार से अपील की थी । खनवां गांव ननिहाल होने पर जन्मस्थान नहीं होने के बावजूद बिहार सरकार के नुमाइंदों द्वारा बताए जाने को लेकर ईसका विरोध बिहार केसरी के प्रपौत्र बरबीघा विधानसभा के पूर्व प्रत्याशी रहे और वर्तमान में राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश महासचिव अनिल शंकर सिन्हा के द्वारा भी जोरदार ढंग से किया गया था। बिहार विधानसभा चुनाव के पूर्व भारतीय जनता पार्टी के पूर्व जिला अध्यक्ष दारो बिंद के वायरल वीडियो में जाति विशेष पर किए गए कटाक्ष के बाद उनका हटाया जाना और इस बार सत्ताधारी दल के कद्दावर सांसद ललन सिंह के वायरल वीडियो में बिहार केसरी की जन्मभूमि को नवादा जिले में बताए जाने से बहुसंख्यक आबादी वाले बरबीघा विधानसभा क्षेत्र की एक विशेष जाति के साथ अन्य भावनात्मक तौर से जुड़े लोग काफी आहत महसूस कर रहे हैं। अविनाश कुमार काजू ने बताया कि अन्य कई साक्ष्य के आधार पर अदालत में भी इस बात को पुख्ता प्रमाण से प्रमाणित किया जा सकता है कि बिहार केसरी का जन्म बरबीघा के ही माउर गांव में हुआ था।

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