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बिहार की वार्षिक विकास दर दहाई अंकों में अब भी कायम

प्रति व्यक्ति आय में 12.8 फीसदी की बढ़ोतरी वर्ष 2023-24 में कुल प्राप्तियों में 13.5 फीसदी था सहायता राशि का हिस्सा

Desk: सरकारी नौकरियां और रोजगार सृजन को बढ़ावा देते हुए नीतीश सरकार में वार्षिक विकास दर दहाई अंकों में अब भी कायम है। कोरोना काल के संक्रमण से गुजरने के बाद भी सरकार ने वित्तीय अनुशासन कायम रखा और आर्थिक विकास के मोर्चे पर अपने कदम को डगमगाने नहीं दिया। सामाजिक-आर्थिक विकास के ढांचे को मजबूती दी। कृषि, ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार, महिला सशक्तीकरण के लगातार प्रयास और संसाधनों के बेहतर उपयोग के साथ ही औद्योगिकीकरण की तेज रफ्तार के कारण बिहार की विकास दर छलांग लगाती रही।

दरअसल, नीतीश सरकार ने 2005 में दायित्व संभालने के बाद ही विकास की एक मजबूत नींव तैयार करनी शुरू कर दी थी। निवेश प्रोत्साहन नीति, कृषि रोडमैप का बेहतर क्रियान्वयन और आधारभूत ढांचे के विकास के साथ ही विर्निर्माण सेक्टर को मिली गति के कारण बाढ़-सूखा और कोरोना संकट से उत्पन्न झंझावातों ने प्रदेश की अर्थिक तरक्की में बे्रक नहीं लगा पाया।

उपमुख्यमंत्री सह वित्त मंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि बिहार विकास दर में अब भी देश में तीसरे स्थान पर है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की विवेकपूर्ण आर्थिक एवं वित्तीय नीतियों के क्रियान्वयन के कारण राज्य के सामाजिक-आर्थिक विकास में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज हुई है। बजट का अधिकतर हिस्सा राज्य में विकास कार्यों पर खर्च किया जा रहा है। जनसुविधाओं को सुगम और पारदर्शी बनाया जा रहा है। उन्होंने बिहार विधानमंडल में शुक्रवार को आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 पेश करने के बाद संवाददाता सम्मेलन में ये बातें कहीं।

नीतीश सरकार में बिहार आर्थिक सर्वेक्षण का यह 19वां संस्करण था। आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार वित्तीय वर्ष 2023-24 में पिछले वर्ष की तुलना में सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) में वर्तमान मूल्य पर 14.5 फीसदी, जबकि 2011-12 के स्थिर मूल्य पर 9.2 फीसदी की वृद्धि हुई है। वहीं, वित्तीय वर्ष 2023-24 पिछले वर्ष की तुलना में 12.8 फीसदी वृद्धि दर्ज होने के कारण अब प्रति व्यक्ति आय सालाना 66,828 रुपये, जबकि वित्तीय वर्ष 2011-12 के स्थिर मूल्य पर 7.6 फीसदी बढ़ोतरी होने के कारण प्रति व्यक्ति सालाना आय 36,333 रुपये हो गया है। जीएसडीपी के उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार वर्तमान मूल्य पर 11-12 वर्षों में बिहार की अर्थव्यवस्था में साढ़े तीन गुणा बढ़ोतरी हुई है। जीएसडीपी वर्ष 2011-12 के 2.47 लाख करोड़ से बढ़कर वर्ष 2023-24 में 8.54 लाख करोड़ पहुंच गयी है।

रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2019-20 से 2023-24 के बीच राजस्व एवं पूंजीगत खर्च में उल्लेखनी वृद्धि हुई है। राजस्व खर्च डेढ़ गुणा बढ़ा है, जबकि पूंजीगत खर्च में तीन फीसदी से अधिक बढ़ोतरी हुई है। राज्य सरकार के पांच वर्षों के कुल खर्च में पूंजीगत खर्च 14 फीसदी से बढ़कर 24 फीसदी हो गया है। कुल प्राप्तियों में कर राजस्व का हिस्सा पांच वर्षों में 55.3 फीसदी से बढ़कर 83.8 फीसदी पहुंच गया। वर्ष 2023-24 में कुल प्राप्तियों में प्राप्त सहायता राशि का हिस्सा 13.5 फीसदी था, जबकि करेतर राजस्व कहा हिस्सा कुल प्राप्तियों में 2.7 फीसदी रहा। इसके कारण राज्य की वित्त व्यवस्था स्थिर, लचीली और संकट से मुक्त रही।

कृषि रोडमैप के सफल क्रियान्वयन के कारण फसल, शाक-सब्जी से लेकर दूध-अंडा और मांस-मछली के उत्पादन में भी वृद्धि दर्ज की गयी है। किसान क्रेडिट योजना के विस्तार से किसानों में आर्थिक समृद्धि बढ़ी है। ‘हर खेत तक सिंचाई का पानी’ कार्यक्रम के तहत 707 योजनाएं पूरी होने से 1 लाख 2 हजार 957 हेक्टेयर मे सिंचाई की सुविधा बहाल हुई है। आंकड़ों के अनुसार राज्य में निवेश का बेहतर माहौल है। एसआईपीबी को वर्ष 2024 में 75,293.76 करोड़ निवेश के 3752 निवेश प्राप्त हुए हैं। वर्ष 2023-24 में 706 प्रस्तावित परियोजना द्वारा 5642.57 करोड़ के निवेश का प्रस्ताव था। 769 औद्योगिक इकाइयां कार्यरत है। इससे 31,749 श्रमिकों को रोजगार मिला है।

राज्य सरकार स्टार्टअप को लगातार बढ़ावा दे रही है। देसी-विदेशी सैलानियों की आवक में लगातार बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है। ग्रामीण पथों के विस्तार के साथ ही नयी रेल लाइनों के निर्माण से आवागमन सुगम हो गया है। इससे कृषि उत्पादों की बिक्री बढ़ी है। पटना मेट्रो रेल परियोजना सरकार के प्रयास से जल्द ही चालू होने वाली है। इससे भी अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। इस परियोजना के क्रियान्वयन के लिए चालू वित्तीय वर्ष में 380 करोड़ का प्रावधान किया गया है। आईटी के उपयोग से सरकार ने चुस्त-दुरुस्त विधि-व्यवस्था कायम रखने में भी सफलता पायी है। इससे पांच वर्षों में 10 लाख से अधिक अपराधियों का डाटा खंगाला गया है। इससे अपराध नियंत्रण में सरकार को सफलता मिली है। मनरेगा के कुशल क्रियान्वयन से ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबों के जीवन स्तर में सुधार आया है। बिजली की पहुंच ने सूक्ष्म और लघु उद्योगों के विस्तार को बढ़ावा दिया है। इससे लोगों की आर्थिक स्थिति में सुधार आया है।

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